

भोपाल - मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह की परेशानियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अब उनके खिलाफ जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मामले में मध्य प्रदेश पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जो विजय शाह के बयान की जांच करेगी। इस SIT में तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं—पुलिस महानिरीक्षक प्रमोद वर्मा, उप महानिरीक्षक कल्याण चक्रवर्ती और पुलिस अधीक्षक वाहिनी सिंह।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के ठीक अगले दिन मध्य प्रदेश प्रशासन ने यह कार्रवाई की है। पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने विजय शाह द्वारा पेश किए गए माफीनामे को स्वीकार नहीं किया था। साथ ही कोर्ट ने एमपी पुलिस को आदेश दिया था कि विजय शाह के खिलाफ विशेष जांच दल (SIT) से जांच करवाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह को लगाई थी फटकार
विजय शाह की याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा -
यह माफी है? यह किस तरह की माफी मांग रहे हैं। माफी का कुछ मतलब होता है। कई बार लोग विनम्र भाषा का इस्तेमाल करके माफी मांगते हैं तो कई बार घड़ियाली आंसू बहाकर। आपकी माफी कौन सी है? क्या आप ऐसी धारणा बनाना चाहते हैं कि कोर्ट ने आपसे माफी मांगने के लिए कहा था ?
एमपी पुलिस को दिया SIT के गठन का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ जांच के लिए SIT गठित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, "इस टीम में एक महिला अधिकारी और एक आईजी रैंक के अधिकारी जरूर होने चाहिए। टीम के सभी सदस्य मध्य प्रदेश कैडर के हों, लेकिन वो मूलरूप से राज्य के बाहर के रहने वाले होने चाहिए।"
28 मई तक जमा करनी होगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत, मध्य प्रदेश पुलिस ने SIT के गठन के लिए तीन अधिकारियों को नियुक्त किया है। इस टीम में आईजी प्रमोद वर्मा, डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती और एसपी वाहिनी सिंह को शामिल किया गया है। अदालत ने इस विशेष जांच दल को 28 मई तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा दी है।
क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया को 'आतंकवादियों की बहन' कहकर विवादित बयान दिया था। इस टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। विजय शाह ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके माफीनामे को खारिज करते हुए उनके खिलाफ SIT से जांच कराने का आदेश दे दिया।