सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : मुख्य सचिव डॉ. चंद्र भूषण कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व में निकोबार के जिला प्रशासन ने कैम्पबेल बे में पहली बार ‘आदिवासी हाट’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया। जनजातीय परिषद, एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना (आईटीडीपी) और ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से आयोजित इस पहल का उद्देश्य निकोबार द्वीप समूह की समृद्ध जनजातीय संस्कृति, शिल्प कौशल और उत्पादन का जश्न मनाना और उसे बढ़ावा देना था। निकोबार जिले के उपायुक्त अमित काले के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन कैम्पबेल बे के सहायक आयुक्त डॉ. केशव सिंह और कैम्पबेल बे के खंड विकास अधिकारी शेखर राय ने संयुक्त रूप से बरनबास मंजू, ग्रेट एंड लिटिल निकोबार द्वीप समूह की जनजातीय परिषद के अध्यक्ष की उपस्थिति में किया। आदिवासी हाट ने आदिवासी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) द्वारा बनाए गए निकोबारी हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करने के लिए एक जीवंत मंच के रूप में कार्य किया। स्टॉल पर वर्जिन नारियल तेल, पारंपरिक हस्तनिर्मित निकोबारी होदी (डोंगी), रंगीन तकिए, जटिल कढ़ाई का काम, बारीक बुनी हुईं बांस और बेंत की टोकरियां, साथ ही स्थानीय रूप से उगाए गए फल और सब्जियां प्रदर्शित की गईं। जातीय खाद्य पदार्थों की एक प्रभावशाली श्रृंखला ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए, जिससे समुदाय के सभी वर्गों के आगंतुक आकर्षित हुए। यह पहल आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने, स्थायी आजीविका को प्रोत्साहित करने और पारंपरिक ज्ञान और कला रूपों को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आदिवासी कारीगरों और किसानों को जनता से जुड़ने के लिए एक सीधा मंच भी प्रदान करता है, जिससे उनके उत्पादों के लिए बाजार तक पहुंच में सुधार होता है। जिला प्रशासन सभी भाग लेने वाले आदिवासी कारीगरों और एसएचजी सदस्यों की हार्दिक सराहना करता है जिनकी रचनात्मकता, कौशल और उद्यमशीलता की भावना ने इस कार्यक्रम को एक शानदार सफलता प्रदान की। उनका योगदान निकोबारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित और संपन्न रखने में महत्वपूर्ण है।
सकारात्मक प्रतिक्रिया और उत्साहपूर्ण भागीदारी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अब हर महीने की 15 तारीख को आदिवासी हाट का आयोजन किया जाएगा। यह नियमित मंच स्वदेशी उत्पादों और शिल्पों की बिक्री और प्रचार-प्रसार की सुविधा प्रदान करके आदिवासी समुदाय को सहयोग प्रदान करता रहेगा, जिससे आर्थिक आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा मिलेगा।