

सन्मार्ग संवाददाता
जलपाईगुड़ी : जलपाईगुड़ी अतिरिक्त न्यायालय की तृतीय अदालत ने पत्नी और 18 महीने की बेटी की हत्या के दोषी लालसिंह उरांव को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायाधीश बिप्लब रॉय ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। यह घटना 27 मार्च 2023 में जलपाईगुड़ी जिले के लुकसन चाय बागान में हुई थी, जहां लालसिंह ने अपनी पत्नी सखी उरांव और डेढ़ साल की बेटी ममता की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी। घटना की जांच में सामने आया कि आरोपी शराब पीने के लिए पैसे को लेकर पत्नी से आए दिन झगड़ा करता था। घटना की रात भी इसी विवाद के बाद उसने जघन्य अपराध को अंजाम दिया। अदालत के फैसले के बाद मृतका की मां बुधनी उरांव ने कहा कि वह इस निर्णय से खुश हैं और उनकी बेटी की आत्मा को अब शांति मिलेगी।
पुलिस अधिकारी ने यह कहा
जलपाईगुड़ी अदालत में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश बिप्लब रॉय ने दोहरे हत्याकांड के लिए उसे मौत की सजा सुनाई। जलपाईगुड़ी के पुलिस अधीक्षक खंडबहाले उमेश गणपत ने कहा कि पत्नी और बेटी की नृशंस हत्या के बाद आरोपी ने आत्महत्या करने की कोशिश की और अपने पेट पर चाकू से खुद को चोट पहुंचाई। लाल सिंह को गिरफ्तार करके उपचार के बाद अदालत में पेश किया गया। लोक अभियोजक प्रसनजीत देब ने कहा कि दोहरे हत्याकांड मामले में सुनवाई के दौरान 13 गवाहों से पूछताछ की गयी। उन्होंने बताया कि अदालत ने पिछले सप्ताह लाल सिंह को अपराध का दोषी करार दिया था और मंगलवार को सजा सुनाई।
अभियुक्त ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी
उस समय नागराकाटा पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर ज्योतिष चंद्र बर्मन को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। पुलिस जांच में पता चला कि लालसिंह ने रात को सोते समय अपनी पत्नी और बेटी की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने अपने पेट में तेज चाकू घोंपकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन यह आत्महत्या का प्रयास क्यों ? लालसिंह ने दोहरे हत्याकांड को छुपाने के लिए लूट की झूठी कहानी गढ़ी। उस कहानी में, उसने बताया कि लुटेरों के एक समूह ने घर में घुसकर पत्नी और बेटी की हत्या कर दी थी। बचाने के प्रयास में वह भी बदमाशों के धारदार हथियार से घायल हो गया लेकिन पुलिस जांच में लालसिंह की लूट की गढ़ी कहानी की पुष्टि नहीं हुई।
13 लोगों ने दी थी गवाही
इस मामले में सरकारी वकील प्रसेनजीत देब (पिंटू) ने कहा, "इस मामले में 13 गवाह हैं।" इनमें लाल सिंह के दादा पन्नालाल भी शामिल थे। न्यायाधीश ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई।' सखी की मां बुधनी उरांव ने कहा, "लाल सिंह मेरा दामाद नहीं है।" वह हत्यारा है। घटना के दिन मैंने लालसिंह को फांसी देने की मांग की थी। आज अदालत के फैसले के बाद मेरी बेटी की आत्मा को और भी शांति मिली। हम अदालत के फैसले से खुश हैं।'