

नई दिल्लीः कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अजय माकन ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग “सरकार की कठपुतली बन गया है।’’ साथ ही उन्होंने सवाल किया कि समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता के बिना लोकतंत्र कैसे जीवित रह सकता है।
राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए माकन ने कहा कि भारत भले ही खुद को लोकतंत्र की जननी कहता हो, लेकिन देश में निष्पक्ष चुनाव के तीन बुनियादी तत्व — समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता — को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया गया है।
आयोग का काम ‘विश्वास’ पैदा करना
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग मशीन-द्वारा पढ़े जा सकने योग्य मतदाता सूची देने से इनकार कर रहा है, आईपी एड्रेस छिपा रहा है और 45 दिन के भीतर सबूत नष्ट कर देता है। माकन ने कहा, “आज निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है।”
उन्होंने कहा कि आयोग का काम ‘विश्वास’ पैदा करना होता है, लेकिन आज उसका काम ‘संदेह’ बढ़ाना बन गया है। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़े नतीजों के दिन अचानक बढ़ गए, जबकि दो दिन पहले जारी सूचना में यह कम थे। आयोग से पूछने पर वह चुप रहा कि अतिरिक्त वोट कहां से आए।
चुनाव आयोग में पारदर्शिता का अभाव
माकन ने कहा कि पारदर्शिता के मामले में भी स्थिति साफ नहीं है। हरियाणा में चुनाव हुए और पांच अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने देर रात आंकड़ा जारी कर कहा कि 61.19 फीसदी मतदान हुआ जो छह अक्टूबर को बढ़ कर 65.65 फीसदी और मतगणना में यह 68 फीसदी हो जाता है। उन्होंने कहा कि मत प्रतिशत का सात फीसदी बढ़ना क्या चौंकाने वाली बात नहीं है।
कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में फर्जी आवेदन फार्म मामले की जांच कर रही सीआईडी को भी आयोग द्वारा फॉर्म जमा करने वाले कंप्यूटरों के आईपी एड्रेस और पोर्ट नंबर न देने का आरोप उन्होंने लगाया।
उन्होंने कर्नाटक के अलंग विधानसभा क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वहां दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 तक छह हजार 18 मतदाताओं के नाम हटाने की बात की जाती है और शिकायत होने पर सीआईडी ने जांच की तो पता चला कि 5994 आवेदन जाली हैं।