

ज्यादातर शिक्षक पढ़ाने में जुट गए, लेकिन जिनको टीवी में मुंह दिखाने की जरूरत है वे नहीं लौटे
कोलकाता : मुख्यमंत्री ने इसी नेताजी इंडोर स्टेडियम में बैठक की थी। तब उन्होंने नौकरी खोने वालों से कहा था कि आपकी लड़ाई हम लड़ेंगे, आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है। उन पर विश्वास रखा जाता तो यह सब नहीं होता। इस तरह नाटक करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। उनको कहा गया था कि आप लोग बच्चों को पढ़ाने में लग जाएं। स्कूल जाएं ड्यूटी करें। मुख्यमंत्री की बात मानकर ज्यादातर शिक्षक लौट गए। लेकिन जो टीवी में अपना चेहरा दिखाना चाहते हैं, वे नहीं गए। विकास भवन के सामने विरोध प्रदर्शन करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं बदला जा सकता। राज्य के नगरपालिका एवं शहरी विकास मंत्री तथा कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने शनिवार को यह टिप्पणी की। उन्होंने नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय करियर एवं शिक्षा मेला 'एजुकेशन इंटरफेस 2025' में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह बात कही।
शक्षिक का काम क्रांति करना नही पढ़ाना है
उन्होंने कहा कि शक्षिक का काम क्रांति करना नहीं, बल्कि बच्चों को पढ़ाना है। जब सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल होगा तब कहा जाएगा कि ये शिक्षक भारी संख्या में बंगाल के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। यदि ये नहीं होंगे तो राज्य की शिक्षा प्रभावित होगी। उस वक्त प्रश्न उठाया जा सकता है कि शिक्षक पढ़ाने के बजाय आदोलन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन से कानूनी प्रक्रिया में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बेरोजगार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों का एक वर्ग है आंदोलन पर
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के 2016 के पैनल को रद्द कर दिया है। परिणामस्वरूप, 25,735 लोगों की नौकरी चली गयी। अदालत के फैसले के बाद से इन बेरोजगार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों का एक वर्ग आंदोलन पर है।