चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने के समझौते पर रोक

ब्रिटेन की एक अदालत ने समझौते पर लगाया रोक
चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने के समझौते पर रोक
Published on

लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को हस्तांतरित करने से ब्रिटेन को रोक दिया है। गुरुवार को इस बाबत एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत का फैसला आया। ब्रिटेन ने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमति जताई है। यहां सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक अड्डा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद सौदे को अंतिम रूप देने में देरी हुई। गुरुवार सुबह एक वर्चुअल समारोह में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर करने थे। लेकिन गुरुवार तड़के उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने समझौते पर रोक लगाते हुए निषेधाज्ञा जारी कर दी।

इस आधार पर लगाई रोक

द्वीप के मूल निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली दो महिलाओं के दावे पर यह फैसला आया। इस द्वीप के मूल निवासियों को अमेरिकी बेस बनाने का रास्ता साफ करने के लिए दशकों पहले निकाल दिया गया था। ब्रिटिश नागरिक बर्नाडेट डुगासे और बर्ट्राइस पोंप को आशंका है कि द्वीपसमूह के मॉरीशस के नियंत्रण में आने के बाद उनका लौटना और भी मुश्किल हो जाएगा। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जूलियन गूज ने ब्रिटिश सरकार को ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र, जिसे चागोस द्वीपसमूह के रूप में भी जाना जाता है, के किसी विदेशी सरकार को संभावित हस्तांतरण के संबंध में अपनी बातचीत को समाप्त करने के लिए कोई भी ‘निर्णायक या कानूनी रूप से बाध्यकारी कदम’ उठाने से अस्थायी रूप से रोक दिया।

ब्रिटेन की सरकार ने कहा, ‘हम जारी कानूनी मामलों पर टिप्पणी नहीं करते। यह समझौता ब्रिटेन के लोगों की रक्षा करने और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सही चीज है।’

ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों से एक चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in