

नई दिल्ली : पहलगाम आतंकवादी हमले से जुड़ी एक बड़ी खबर मिली है। सीआरपीएफ के जिस जवान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, वह पहले पहलगाम रीजन में ही नियुक्त था। पहलगाम में आतंकवादी हमले से सिर्फ पांच दिन पहले उसका दूसरे क्षेत्र में तबादला किया गया था। खुफिया सूत्रों से यह सूचना मिली है। इससे पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े तार खोजने में जांच एजेंसियों को बड़ी मदद मिलने की आशा है। इस जवान को बर्खास्त किया जा चुका है।
यह फिलहाल एनआईए की हिरासत में है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम से मिली यह जानकारी न सिर्फ आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सुरक्षा बलों के भीतर मौजूद खतरे की बात बताती है। सीआरपीएफ के जवान मोतीराम जाट को दुश्मन के खिलाफ डटकर खड़ा होना था, उसी पर अब पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है। सूत्रों के मुताबिक, मोतीराम जाट, जो सहायक उपनिरीक्षक के पद पर तैनात था, को सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में पहलगाम में पोस्टिंग मिली थी। लेकिन आतंकी हमले से सिर्फ 6 दिन पहले उसका ट्रांसफर कर दिया गया था।
जवान की ‘नापाक’ हरकत
जांच एजेंसियों को शक है कि मोतीराम जाट ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के एजेंटों के संपर्क में रहकर संवेदनशील जानकारियां साझा कीं। इसमें सुरक्षा बलों की तैनाती से जुड़ी सूचनाएं, सैन्य अभियान और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सटीक लोकेशन की जानकारियां शामिल थीं। बताया जाता है कि इसके बदले अभियुक्त को खूब पैसे दिए जाते थे। इस घटना ने खुफिया एजेंसियों को सचेत कर दिया है। अधिकारी मानते हैं कि ऐसे ‘अंदरूनी भेदिये’ न सिर्फ अभियानों को नाकाम करवा सकते हैं, बल्कि जवानों की जान को भी खतरे में डाल सकते हैं।
संयोग या षड्यंत्र?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मोतीराम का तबादला और उसके छह दिन बाद हुआ आतंकी हमला केवल एक संयोग था या उसके पीछे कोई बड़ी साजिश रची गयी थी? इस कोण से भी जांच शुरू कर दी गयी है। सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों ने इस मामले में मोतीराम से विस्तृत पूछताछ शुरू की है। फिलहाल वह हिरासत में है और उस पर जासूसी, देशद्रोह और यूएपीए जैसे गंभीर आरोप लगाए जा सकते हैं।