बशीरहाट पालिका में बोर्ड भंग, एसडीओ संभालेंगी जिम्मेदारी

The board of Basirhat Municipality has been dissolved; the SDO will take over the responsibilities.
फाइल फोटो
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बशीरहाट: उत्तर 24 परगना जिले की महत्वपूर्ण बशीरहाट नगरपालिका में पिछले कई महीनों से चल रहा राजनीतिक और प्रशासनिक गतिरोध अंततः एक बड़े फैसले के साथ समाप्त हुआ। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार और नागरिक सेवाओं में विफलता के गंभीर आरोपों के आधार पर नगरपालिका के निर्वाचित बोर्ड को भंग कर दिया है। शुक्रवार को आधिकारिक रूप से बशीरहाट की उप-मंडल अधिकारी (SDO) जसलीन कौर ने नगरपालिका के प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) के रूप में कार्यभार संभाल लिया।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप और जन आक्रोश

23 वार्डों वाली इस नगरपालिका (वर्तमान में एक पार्षद के निधन के बाद 22 पार्षद) के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा हुआ था। स्थानीय निवासियों का आरोप था कि शहर की बुनियादी ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है। प्रमुख समस्याओं में शामिल थे:

  • आर्थिक अनियमितता: विभिन्न विकास परियोजनाओं और सरकारी फंड में लाखों रुपयों के गबन का आरोप।

  • नागरिक सेवाओं की बदहाली: सड़कों की जर्जर हालत, जल निकासी (ड्रेनेज) की खराब व्यवस्था और आर्सेनिक मुक्त पेयजल की भारी किल्लत।

  • प्रशासनिक दुर्व्यवहार: पार्षदों और बोर्ड के सदस्यों पर जनता के साथ खराब व्यवहार करने के आरोप भी लगे थे।

इन मुद्दों को लेकर 9 नवंबर को सैकड़ों नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था और सीधे राज्य के नगर विकास मंत्री को लिखित शिकायत भेजी थी।

सरकार की कार्रवाई और 'कारण बताओ' नोटिस

जनता की शिकायतों और आंतरिक रिपोर्टों के आधार पर राज्य सरकार ने 18 नवंबर को नगरपालिका के सभी 22 पार्षदों को 'कारण बताओ' (शोकाज) नोटिस जारी किया था। सूत्रों के अनुसार, पार्षदों द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से सरकार संतुष्ट नहीं हुई। साथ ही, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के भीतर चल रही आपसी गुटबाजी ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया था। अंततः प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए निर्वाचित बोर्ड को हटाकर प्रशासनिक कमान SDO को सौंपने का निर्णय लिया।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले ने बशीरहाट के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है:

  • विपक्ष का रुख: भाजपा नेता सुकल्याण वैद्य और कांग्रेस के अमित मजूमदार ने इस फैसले का पुरजोर स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह जनता की जीत है और अब भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। माकपा नेता विश्वजीत बसु ने भी आरोप लगाया कि विकास के नाम पर केवल लूट मची थी।

  • सत्ता पक्ष का बयान: पूर्व नगरपालिका प्रधान और टीएमसी नेता अदिति मित्र रायचौधरी ने संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में पार्टी और सरकार के इस फैसले को स्वीकार करती हैं। अब से नगरपालिका का सुचारू संचालन SDO की देखरेख में होगा।

बशीरहाट की जनता अब उम्मीद कर रही है कि प्रशासक की नियुक्ति के बाद अटके हुए विकास कार्य फिर से शुरू होंगे और भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी प्रशासन देखने को मिलेगा।

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