अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह समस्त भारतवासियों के लिए एक तीर्थस्थलन : अमित शाह

सावरकर के अमर काव्य ‘सागरा प्राण…’ को 115 वर्ष पूरे
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह समस्त भारतवासियों के लिए एक तीर्थस्थलन : अमित शाह
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सन्मार्ग संवाददाता

श्री विजयपुरम : स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित अमर काव्य ‘सागरा प्राण …’ के 115 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शनिवार को श्री विजयपुरम में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डी. के. जोशी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आज अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह समस्त भारतवासियों के लिए एक तीर्थस्थल बन चुका है, क्योंकि यहीं पर वीर सावरकर ने अपने जीवन का सबसे कठिन समय व्यतीत किया था। उन्होंने कहा कि यह भूमि स्वतंत्रता संग्राम के एक अन्य महान सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृतियों से भी जुड़ी हुई है। शाह ने कहा कि जब आजाद हिंद फ़ौज ने भारत को स्वतंत्र कराने का प्रयास किया, तब सबसे पहले अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह को ही मुक्त किया गया था, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो दिनों तक रुके थे। उन्होंने बताया कि द्वीपों को ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ नाम देने का सुझाव भी नेताजी का ही था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में साकार किया। अमित शाह ने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप केवल द्वीपों का समूह नहीं है, बल्कि यह त्याग, तपस्या, समर्पण और अटूट देशभक्ति की पवित्र भूमि है। उन्होंने कहा कि आज (13 दिसंबर) इस पवित्र भूमि पर वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस भूमि की तरह वीर सावरकर की स्मृति भी पवित्र है और प्रतिमा का अनावरण इस अवसर को और भी ऐतिहासिक बनाता है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह प्रतिमा आने वाले कई वर्षों तक वीर सावरकर के बलिदान, संकल्प और मातृभूमि के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह स्थान युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा, जहां वे सावरकर के साहस, कर्तव्यबोध, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय एकता के संदेश को आत्मसात कर सकेंगे। शाह ने कहा कि ‘सागरा प्राण ….’ देशभक्ति की चरम अभिव्यक्ति है और सावरकर का यह विचार कि ‘वीरता भय की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि भय पर विजय है’ आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर एक कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया गया तथा सावरकर की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले कई लोगों को सम्मानित किया गया। शाह ने कहा कि सावरकर के व्यक्तित्व को किसी एक पुस्तक, कविता या फिल्म में समेटना असंभव है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर लेखक, योद्धा, समाज सुधारक, कवि और महान राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने भाषा को भी समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा, जिसके आधार पर आज देश का शासन चल रहा है, उसकी नींव वीर सावरकर ने रखी थी। शाह ने कहा कि ‘वीर’ की उपाधि उन्हें किसी सरकार ने नहीं, बल्कि देश की जनता ने दी है।

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