

मुनमुन, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : ऐतिहासिक अलीपुर म्यूजियम में प्रसिद्ध फोटोग्राफर सोहराब हूरा के दो महत्वपूर्ण फोटोग्राफिक प्रोजेक्ट्स ‘स्नो’ और ‘द सॉन्ग ऑफ स्पैरोज इन ए हंड्रेड डेज ऑफ समर’ का भारत में पहली बार एक साथ प्रदर्शन किया गया है। यह एग्जीबिशन भारतीय उपमहाद्वीप के दो भिन्न भौगोलिक और सामाजिक यथार्थों को सामने लाती है। इसमें जहां एक ओर मध्य प्रदेश की झुलसाती गर्मी, तो दूसरी ओर कश्मीर की ठिठुरती ठंड को दर्शाया गया है।
आधुनिकता से दूर मध्य प्रदेश का सवरियापानी गांव
‘द सॉन्ग ऑफ स्पैरोज इन ए हंड्रेड डेज ऑफ समर’ मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के एक छोटे से गांव सवरियापानी गांव को दर्शाता है। इस प्रोजेक्ट में ग्रामीण भारत में बढ़ती गर्मी, पानी की कमी, मेहनत भरे जीवन और सामाजिक असमानताओं को करीब से दर्शाया गया है। आधुनिकता के दौर में कैमरों और मीडिया की नजरों से दूर बसे इस गांव के लोगों का रोजमर्रा का जीवन, उनका पहनावा, रहन-सहन और संघर्ष सोहराब हूरा ने बहुत सादगी और संवेदनशीलता के साथ कैमरे में कैद किया है। तेज गर्मी में पानी की तलाश, कठिन श्रम और सीमित साधनों के बीच गांव के लोग जिस तरह अपना जीवन चलाते हैं, यह श्रृंखला उसी सच्चाई को बिना बनावट के सामने रखती है। यह काम हूरा के उन प्रोजेक्ट्स से जुड़ता है, जहां वे समाज और राजनीति से जुड़े सवालों को आम लोगों की जिंदगी के जरिए सामने लाते रहे हैं। यह प्रदर्शनी 6 नवंबर से शुरू हुई है जो अगले साल 11 जनवरी तक चलेगी।
कश्मीर की ठंड : बर्फ में छिपी सच्चाई
दूसरी ओर ‘स्नो’ प्रोजेक्ट कश्मीर की सर्दियों को तीन पारंपरिक चरणों चिल्लई कलां, चिल्लई खुर्द और चिल्लई बच्चा के रूप में दिखाता है। बर्फ का गिरना और धीरे-धीरे पिघलना यहां केवल प्राकृतिक दृश्य नहीं रह जाता, बल्कि कश्मीर की राजनीतिक अस्थिरता, सैन्यीकरण और रोजमर्रा की हिंसा का एक सशक्त रूपक बन जाता है। इन फोटोग्राफ में कश्मीर के लोग, उनका जीवन और कठोर ठंड के बीच उनकी दिनचर्या बेहद सहज और प्रभावशाली ढंग से उभरती है। दर्शक इन चित्रों के माध्यम से कश्मीर की ठंड को केवल देख ही नहीं सकते है बल्कि महसूस भी कर सकते हैं।
अलीपुर म्यूजियम में दो चरम अनुभव
अलीपुर म्यूजियम के डारेक्टर डॉ. जयंत सेनगुप्ता ने बताया कि कोलकाता में रहते हुए अगर कोई कश्मीर की ठंड या मध्य भारत की तपती गर्मी का अनुभव करना चाहता है, तो अलीपुर म्यूजियम में लगी यह एग्जीबिशन एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। फ्रेमों में सजे ये दृश्य न केवल दृश्यात्मक अनुभव हैं, बल्कि भारत के सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ पर एक गहन टिप्पणी भी है। यह एग्जीबिशन कला प्रेमियों, फोटोग्राफी के छात्रों और समाज को समझने की जिज्ञासा रखने वाले हर दर्शक के लिए विशेष महत्व रखती है।