

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल सरकार इस साल के अंत तक नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ ठाकुर से जुड़ा ऐतिहासिक ‘गौरीपुर मैन्शन’ आम जनता के लिए खोलने जा रही है। कालिम्पोंग की हरी-भरी वादियों में स्थित यह दो मंजिला उपनिवेशकालीन इमारत 1938 से 1940 के बीच गुरुदेव का प्रिय आश्रय स्थल रही थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व और हेरिटेज आयोग के संरक्षण में पीडब्ल्यूडी, पर्यटन और पुरातत्व विभाग इसके पीछे अथक प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जीर्णोद्धार कार्य का पहला चरण पूरा हो चुका है तथा दूसरा चरण या अंतिम चरण अभी शुरू होना बाकी है। सूत्रों के अनुसार पूरा काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा और पूरी संभावना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद इस नवनिर्मित ऐतिहासिक हवेली का उद्घाटन करेंगी।
यहां के वातावरण साहित्य प्रेमियों को बीते युग की गवाही देती हैं
पश्चिम बंगाल हेरिटेज कमीशन लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत से इस ऐतिहासिक भवन का जीर्णोद्धार कर रहा है। योजना है कि इसे बुटीक हेरिटेज होमस्टे के रूप में विकसित किया जाए, जहां पर्यटक उन्हीं कमरों में ठहर सकेंगे जिनमें कभी गुरुदेव ने समय बिताया था। गौरतलाव है की, 'गौरीपुर मैन्शन' वह जगह है जहां उन्होंने अपना 77वां जन्मदिन मनाया था और प्रसिद्ध कविता ‘जन्मदिन’ लिखी थी। ठाकुर ने इसे यहीं से टेलीफोन पर पढ़कर सुनाया था, जिसे ऑल इंडिया रेडियो, कोलकाता से सीधा प्रसारित किया गया था। माना जाता है कि यह कालिम्पोंग और कोलकाता के बीच पहली टेलीफोनिक कड़ी थी। मैन्शन की पुरानी लकड़ी की बरामदे, बड़े खिड़की-दरवाजे और प्राकृतिक परिवेश इसे और आकर्षक बनाते हैं। यद्यपि ठाकुर की असली वस्तुएं अन्यत्र संरक्षित हैं, फिर भी यहां के वातावरण और स्मृतियां साहित्य प्रेमियों को बीते युग की गवाही देती रहेंगी। सरकार का मानना है कि 2026 तक यह इमारत केवल एक पुराना घर नहीं रहेगी, बल्कि साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर के जीवंत प्रतीक के रूप में दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करेगी।