

सन्मार्ग संवाददाता
नयी दिल्ली/कोलकाता : माध्यमिक के बर्खास्त किए गए अयोग्य टीचरों को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। उनकी तरफ से दायर एसएलपी में अपील की गई थी कि अप्रैल माह का वेतन नहीं रोका जाए और नियुक्ति के लिए होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन ने उनके पीटिशन को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कहा है कि इस मामले में तीन अप्रैल को सुनाए गए फैसले में दखल देने की कोई वजह नहीं है। यानी यही फैसला बना रहेगा।
उनकी तरफ से बहस कर रहे एडवोकेट मुकुल रोहतगी और एडवोकेट करुणा नन्दी की दलील थी कि तीन विंदुओ के आधार पर अयोग्य टीचरों की पहचान की गई है। पहली श्रेणी तो उनकी है जिनकी नियुक्ति पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद की गई थी। दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जिन्होंने कोरी ओएमआर शीट सौंपी थी। तीसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जिनके नाम पैनल में थे ही नहीं, फिर भी नियुक्ति दी गई थी। उनकी दलील थी कि इस एसएलपी के पीटिशनर इन तीनों श्रेणियों में से किसी में शामिल नहीं हैं। इसलिए उनके मामले पर अलग से गौर किया जाए। इसके अलावा एडवोकेट रोहतगी की दलील थी कि सीबीआई की तरफ से बरामद ओएमआर शीट और बोर्ड के पास की ओएमआर शीट में दर्ज नंबरों में काफी फर्क पाया गया है। इसलिए उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। यहां गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि योग्य टीचरों को एसएससी की नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा लेना पड़ेगा। उन्हें नये सिरे से परीक्षा में हिस्सा लेना पड़ेगा। इसके साथ वे 31 दिसंबर तक वे नौकरी पर बने रह सकते हैं और इसके लिए उन्हें वेतन मिलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अयोग्य टीचरों को इससे वंचित किया गया है। बेंच ने इस मामले में शुक्रवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद एसएलपी को खारिज कर दिया।