ट्रेन का डिब्बा बन गया है इस देश में आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट

‘खुद ट्रेन में चढ़ गये अब दूसरों को डिब्बे में नहीं घुसने देंगे’
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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के विवाद से जुड़े मुद्दे की सुनवाई के दौरान कहा कि इस देश में आरक्षण ट्रेन के उस डिब्बे की तरह हो गया है, जिसमें जो घुसता है, वह फिर दूसरे को अंदर नहीं आने देना चाहता है। यह तल्ख टिप्पणी न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने की, जो इस साल के अंत तक देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। उनसे पहले 14 मई को न्यायमूर्ति बीआर गवई 52वें सीजेआई के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं।

न्यायमूर्ति कांत की तल्ख टिप्पणी

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह का पीठ महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के विवाद से जुड़े मुद्दे की सुनवाई कर रहा था। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि इस देश में जाति आधारित आरक्षण रेलगाड़ी के डिब्बे की तरह हो गया है और जो लोग इस डिब्बे में चढ़ते हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विवादास्पद मुद्दा 2022 की रिपोर्ट से पहले जैसा ही रहेगा।

स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश

मामले में कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना चार सप्ताह के भीतर जारी करने का भी निर्देश दिया है। याची की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि राज्य के बंठिया आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को यह पता लगाये बिना आरक्षण दे दिया कि वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं या नहीं। उन्होंने दलील दी कि राजनीतिक पिछड़ापन सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन से अलग है।

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