ओबीसी मामले में राज्य की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में

हाई कोर्ट ने स्टे की मियाद को बढ़ाया 31 अगस्त तक
ओबीसी मामले में राज्य की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में
Published on

सन्मार्ग संवाददाता

नयी दिल्ली/कोलकाता : ओबीसी मामले में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है। चीफ जस्टिस बी आर गवयी से वृहस्पतिवार को इसकी तत्काल सुनवायी की जाने की अपील की गई। चीफ जस्टिस सोमवार को सुनवायी की जाने पर सहमत हो गए। इधर हाई कोर्ट के जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजाशेखर मंथा के डिविजन बेंच ने ओबीसी के बाबत राज्य सरकार की अधिसूचना पर लगाए गए स्टे की अवधि को 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया। डिविजन बेंच ने वृहस्पतिवार को सुनवायी के बाद यह आदेश दिया।

एडवोकेट अमृता पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में ओबीसी को ए और बी वर्ग में वर्गीकरण कर दिया गया है। इस नये वर्गीकरण में और 77 जतियों को जोड़ दिया गया है। इसके खिलाफ दायर रिट पर सुनवायी के बाद जस्टिस चक्रवर्ती के डिविजन बेंच ने इस पर स्टे लगा दिया था। इसकी मियाद 31 जुलाई थी। डिविजन बेंच ने इसे बढ़ा कर 31 अगस्त कर दिया है। डिविजन बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आने तक 2010 की व्यवस्था पर अमल किया जाए। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस से इसकी तत्काल सुनवायी की जाने की अपील की। उनकी दलील थी कि इस वजह से नियुक्तियां थम गई हैं और कालेजों मेंं दाखिले पर भी एक अनिश्चय छाया हुआ है। एडवोकेट सिब्बल ने इस सिलसिले में कई जजमेंट का हवाला दिया। चीफ जस्टिस गवयी ने कहा कि इंदिरे सहाय मामले के जजमेंट के मुताबिक शासन को ओबीसी की पहचान करने का अधिकार है। इसके साथ ही कहा कि इस मामले में एक कंटेंप्ट पीटिशन भी दायर हुआ है और इस पर स्टे लगाया जाए। हाई कोर्ट ने 17 जून को स्टे लगाया था। ए और बी वर्ग वाली अधिसूचना पर टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि इसमें पिछले दारवाजे से उन्हीं समुदाय को ओबीसी में लाने की कोशिश की गई है जिनपर हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी है।


संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in