नयी दिल्ली : अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 मिशन के अन्य यात्रियों ने एक दिन के अवकाश के बाद शनिवार को अध्ययन किया कि हड्डियां सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों पर किस प्रकार प्रतिक्रिया करती हैं। यह एक ऐसा प्रयोग है जिससे पृथ्वी पर ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थिसुषिरता) के बेहतर इलाज की संभावना बढ़ सकती है।
विकिरण जोखिम की निगरानी के प्रयोग में भी हिस्सा लिया
एक्सिओम-4 मिशन के तहत 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचे शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन पर एक सप्ताह पूरा कर लिया है और एक दिन का अवकाश लिया था, जिसे उन्होंने धरती पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ बातचीत कर बिताया। उड़ान के दसवें दिन शुक्ला ने आईएसएस पर विकिरण जोखिम की निगरानी के लिए एक प्रयोग में भी हिस्सा लिया, जो पृथ्वी से दूर लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों पर अंतरिक्ष यात्रियों की बेहतर सुरक्षा में मदद कर सकता है।
एक्सिओम-4 चालक दल
एक्सिओम-4 (एक्स-4) चालक दल में शुक्ला (39) और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। इस मिशन में अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेग्गी ह्विटसन कमांडर हैं, शुक्ला पायलट हैं तथा पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू मिशन विशेषज्ञ हैं।
सूक्ष्म शैवाल जांच के लिए नमूने तैनात किये
एक्सिओम स्पेस ने एक बयान में कहा कि शुक्ला ने अंतरिक्ष सूक्ष्म शैवाल जांच के लिए नमूने तैनात किये। ये छोटे जीव एक दिन अंतरिक्ष में जीवन को बनाये रखने में मदद कर सकते हैं। भोजन, ईंधन और यहां तक कि सांस लेने योग्य हवा भी प्रदान कर सकते हैं लेकिन पहले हमें यह समझना होगा कि ये सूक्ष्मगुरुत्व में कैसे विकसित होते हैं और कैसे अनुकूलित होते हैं।
अंतरिक्ष में हड्डियां किस प्रकार खराब होती हैं?
इन अंतरिक्ष यात्रियों ने आईएसएस पर हड्डियों के प्रयोग में हिस्सा लिया, जिससे यह जानकारी मिली कि अंतरिक्ष में हड्डियां किस प्रकार खराब होती हैं और पृथ्वी पर वापस आने पर वे किस प्रकार ठीक हो जाती हैं। एक्सिओम स्पेस ने कहा कि हड्डियों के निर्माण, सूजन और वृद्धि से संबंधित जैविक मार्कर का विश्लेषण करके, शोधकर्ता एक ‘डिजिटल ट्विन’ का निर्माण कर रहे हैं। ‘डिजिटल ट्विन’ एक भौतिक वस्तु, प्रक्रिया, या प्रणाली का एक आभासी, डिजिटल रूप है। यह वास्तविक दुनिया की वस्तु के साथ वास्तविक समय में डेटा का आदान-प्रदान करके, उसके व्यवहार को समझने, समस्याओं का पता लगाने और भविष्य की योजना बनाने में मदद करता है।