'पुशबैक' विवाद पर राज्य सरकार सख्त

केंद्र और अन्य राज्यों से हस्तक्षेप की मांग पर विचार
Nabanna
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कोलकाता: 'पुशबैक' विवाद को लेकर बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार से बार-बार अपील की है, लेकिन अन्य राज्यों में बंगाल के प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित उत्पीड़न और बदसलूकी की घटनाएँ लगातार जारी हैं। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरी नाराजगी जतायी है। राज्य सरकार अब इस मुद्दे पर गंभीरता से पहल कर रही है। नवान्न सूत्रों के अनुसार, बंगाल के श्रमिकों को अन्य राज्यों में परेशान किया जाना किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य प्रशासन ने केंद्र सरकार के साथ-साथ अन्य राज्य सरकारों का ध्यान इस दिशा में आकृष्ट करने का विचार कर रहा है।

मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी पर जोर

एक उच्च अधिकारी के अनुसार बंगाल के लाखों श्रमिक रोजगार के सिलसिले में दूसरे राज्यों में जाते हैं और वहां कई बार उन्हें बिना किसी वैध कारण के प्रताड़ना, अवैध हिरासत या जबरन 'पुशबैक' का सामना करना पड़ता है। नवान्न अब इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर रहा है। राज्य सरकार जल्द ही इस विषय में विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगी, जिसमें अन्य राज्यों में बंगाली श्रमिकों के साथ हो रहे व्यवहार का दस्तावेजी विवरण होगा। राज्य सरकार की योजना है कि प्रत्येक जिले में प्रवासी श्रमिक सहायता प्रकोष्ठ को और मजबूत किया जाए, ताकि श्रमिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके। नवान्न ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि यदि किसी प्रवासी श्रमिक की शिकायत मिले, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाए और उसे कानूनी सहायता मुहैया कराई जाए।

भाजपा शासित राज्यों में बंगाल से गए श्रमिकों को हिरासत में लेने के आरोप

हाल ही में महाराष्ट्र, ओडिशा और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में बंगाल से गए श्रमिकों को 'बांग्लादेशी' मानकर हिरासत में लेने के आरोप सामने आए थे। कई मामलों में बिना राज्य प्रशासन को सूचित किए, कुछ श्रमिकों को जबरन सीमा पार कराकर बांग्लादेश भेजने की भी घटनाएं हुईं। इसी पृष्ठभूमि में राज्य प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय गृह मंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री को सूचित करने के बाद भी यह अत्याचार जारी है। फिर भी हम तब तक हार नहीं मानेंगे जब तक सभी मजदूर सुरक्षित घर वापस नहीं आ जाते।

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