

कोलकाता : मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और अवैध नाम दर्ज कराने के आरोपों में राज्य सरकार ने गुरुवार को चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से दिए गए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश को तत्काल लागू नहीं किया गया। इस वजह से सियासी हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या नवान्न आयोग के आदेश मानने के पक्ष में नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने गुरुवार को ही दिल्ली स्थित मुख्य चुनाव आयुक्त के दफ्तर में एक रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि संबंधित चार अधिकारियों को फिलहाल निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की जा रही है। लेकिन यदि एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य हो, तो इसके लिए राज्य को थोड़ा और समय दिया जाए।
प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या आयोग इस जवाब से संतुष्ट होगा? नवान्न का यह रुख बताता है कि सरकार ने अनुशासनात्मक कार्रवाई तो कर दी है, लेकिन आपराधिक मुकदमा दर्ज करने को लेकर वह फिलहाल सतर्क रणनीति अपना रही है। अब देखना है कि चुनाव आयोग राज्य की इस दलील को स्वीकार करता है या सख्ती दिखाते हुए एफआईआर दर्ज कराने पर अड़ा रहता है।