डीए विवाद: कर्मचारी संगठनों की नोटिस को लेकर नवान्न सख्त

कहा- केवल सुप्रीम कोर्ट को देंगे जवाब
Nabanna
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कोलकाता: महंगाई भत्ते (डीए) मामले में वादी यानी सरकारी कर्मचारियों द्वारा भेजी गयी कानूनी नोटिसों पर राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार इस मुद्दे को लेकर कतई चिंतित नहीं है और उसका साफ कहना है कि वह केवल सर्वोच्च न्यायालय के प्रति जवाबदेह है न कि किसी अन्य संस्था या मंच के प्रति। राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बकाया डीए मामले में सोमवार को संबंधित दो कर्मचारी संगठनों ने नवान्न में अदालत की अवमानना की नोटिस दी है। राज्य के मुख्य सचिव डॉ. मनोज पंत और वित्त सचिव प्रभात मिश्रा को यह नोटिस भेजी गयी थी। कन्फेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट इम्प्लॉइज और राज्य सरकारी कर्मचारी परिषद की ओर से उनके वकीलों ने लिखित नोटिस भेजी।

कर्मचारी परिषद ने भी सरकार को अलग से नोटिस भेजी है

उल्लेखनीय है कि डीए मामले में राज्य सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक मॉडिफिकेशन पिटिशन दाखिल कर चुकी है। 27 जून को बकाया डीए का 25 प्रतिशत भुगतान करने की समय सीमा के अंतिम दिन यह याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बकाया डीए के भुगतान में सरकार को किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। कन्फेडरेशन के महासचिव मलय मुखोपाध्याय ने बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना का मामला दायर करेंगे लेकिन उससे पहले कानूनी प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार को नोटिस भेजी गयी है। इसी कारण से कर्मचारी परिषद ने भी सरकार को अलग से नोटिस भेजी है। इस पर नवान्न के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार इन 'अविवेकपूर्ण' कदमों को गंभीरता से नहीं ले रही है। डीए मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और सरकार ने इसमें पहले ही संशोधन याचिका दाखिल कर दी है।

कानून के दायरे में रहकर कार्य कर रहा है राज्य सरकार

राज्य सरकार का कहना है कि इस संवेदनशील मामले में कोई भी अगला कदम केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ही उठाया जाएगा। वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि हम किसी राजनीतिक दबाव या मंच के अल्टीमेटम पर नहीं, बल्कि कानून के दायरे में रहकर कार्य कर रहे हैं। ज्ञात हो कि डीए भुगतान को लेकर राज्य सरकार और कर्मचारियों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। संग्रामी संयुक्त मंच इसे न्यायिक आदेशों की अवमानना करार देते हुए लगातार आंदोलनरत है। हालांकि राज्य सरकार ने साफ संदेश दिया है कि वह केवल सांविधानिक संस्थाओं के निर्देशों का पालन करेगी।

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