मासिक धर्म पर सोशल मीडिया पर दी जानकारी को भ्रामक मानती हैं ज्यादातर महिलाएं : सर्वेक्षण

एवरटीन ‘मेंसट्रूअल हाइजीन सर्वे’ के 10वें वार्षिक संस्करण का निष्कर्ष
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नयी दिल्ली : अधिकांश भारतीय महिलाएं मासिक धर्म के बारे में जानकारी के लिए सोशल मीडिया को एक अच्छा स्रोत मानती हैं लेकिन बहुत कम महिलाएं मासिक धर्म संबंधी आपात स्थितियों में इस पर भरोसा करती हैं।

72.4 प्रतिशत उत्तरदाता 19-35 आयु वर्ग की

ये निष्कर्ष एवरटीन ‘मेंसट्रूअल हाइजीन सर्वे’ के 10वें वार्षिक संस्करण का हिस्सा हैं, जो मासिक धर्म स्वच्छता दिवस से पहले जारी किया गया है। करीब 72.4 प्रतिशत उत्तरदाता 19-35 आयु वर्ग की थीं और 76.6 प्रतिशत ने स्नातक या उच्च शिक्षा पूरी कर ली थी। सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग 71.6 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि सोशल मीडिया मासिक धर्म के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करता है जबकि केवल 11.5 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म संबंधी आपात स्थितियों के दौरान इसे प्राथमिक स्रोत के रूप में उपयोग करती हैं।

सोशल मीडिया पर निर्भरता

पैन हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चिराग पान ने कहा कि यह तथ्य कि भारत में दो तिहाई से अधिक महिलाएं सूचना के स्रोत के रूप में सोशल मीडिया पर निर्भर हैं, यह दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग और ब्लॉगर मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने में शानदार काम कर रहे हैं।

ऑनलाइन भ्रामक या हानिकारक जानकारी भी!

कई महिलाओं ने ऑनलाइन भ्रामक या हानिकारक जानकारी मिलने की बात कही। एक झूठा दावा यह भी था कि मासिक धर्म में देरी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) का संकेत है। दूसरे में कहा गया कि उन्हें मासिक धर्म के दर्द के लिए नींबू पानी या कॉफी पीने की सलाह दी गयी, जिससे उनके लक्षण और भी बदतर हो गये। कुछ उत्तरदाताओं को गलत घरेलू उपचार मिले जबकि अन्य को गलत सूचना मिली कि मासिक धर्म के दौरान व्यायाम करने से शरीर को नुकसान हो सकता है।

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