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छोटे हॉल, बड़ी सोच : चर्चा में ममता की मिनी सिनेमा नीति

छोटे सिनेमा हॉल को मिलेगा सहारा
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कोलकाता: मोबाइल स्क्रीन और ओटीटी के दौर में जब सिनेमा देखने का अनुभव निजी होता जा रहा था, तब पश्चिम बंगाल सरकार ने दर्शकों को फिर से सामूहिक अंधेरे हॉल में लौटाने की पहल की है। गुरुवार को धनधान्य सभागार में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित ‘मिनी सिनेमा पॉलिसी’ केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि बंगाली सिनेमा की जड़ों से दोबारा जुड़ने की कोशिश है।

इस अवसर पर एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया है। इस नीति के तहत राज्य के गांवों, मुफस्सिल कस्बों और शहरों के छोटे-छोटे इलाकों में 50 सीटों वाले आधुनिक मिनी सिनेमा हॉल बनाए जाएंगे। ये हॉल आकार में छोटे होंगे, लकिन तकनीक के मामले में किसी मल्टीप्लेक्स से कम नहीं—डिजिटल एलईडी स्क्रीन, एयर कंडीशनिंग, कंप्यूटर-आधारित प्रोजेक्शन और सख्त अग्नि सुरक्षा मानकों से लैस होंगे।

सरकार ने लाइसेंस प्रक्रिया को भी सरल और तेज बनाया है, ताकि एक महीने के भीतर हॉल शुरू किया जा सके। इस पहल के पीछे अभिनेता प्रसेनजीत चटर्जी का विचार भी है, जिन्होंने खुद कोलकाता के पार्क स्ट्रीट में पहले मिनी सिनेमा हॉल की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही, राजारहाट में प्रस्तावित इंटरनेशनल आईटी और कल्चरल पार्क इस सांस्कृतिक दृष्टि को और व्यापक बनाएगा।

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