

सबिता, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने रविवार को कहा कि SIR को हड़बड़ी में ना करें। इतने कम समय में यह करना संभव नहीं हो सकेगा। एसआईआर की प्रक्रिया में समय बढ़ाने से यह साबित हो गया लेकिन एसआईआर के कारण 40 लोगों की जानें गयी इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? मंत्री ने कहा कि हमलोग एसआईआर का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि जिस तरह से इसे हड़बड़ी में किया जा रहा है उसके खिलाफ है। अचानक घोषणा हुई 4 दिसंबर तक फार्म जमा कर लेना होगा। हमलोग ने कहा था कि इतने कम समय में यह नहीं हो सकेगाक्योंकि जिस प्रक्रिया को करने में दो साल लगे थे वह एक या दो महीने में कैसे होगा ? हमलोगों के सांसदों की टीम भी दिल्ली गयी थी। अब अचानक देखा कि सात दिनों का समय बढ़ा दिया गया। इससे प्रणाम हो गया कि तृणमूल ने जो कहा था कि वह सही था। चंद्रिमा ने कहा कि हमारे सांसद अभिषेक बनर्जी बार बार कह रहे थे कि एसआईआर प्रक्रिया में हड़बड़ी ना करें। आपलोग समय लेकर करें। अभिषेक बनर्जी ने पांच प्रश्न भी उठाये थे।
पहले बंगाल का फंड जारी करें : पार्थ भौमिक
चुनाव आयोग के 'स्रोत-आधारित (ऑफ-रिकॉर्ड)' आरोपों पर कि राज्य सरकार ने बीएलओ को बढ़ा हुआ पारिश्रमिक जारी नहीं किया है, सांसद पार्थ भौमिक ने चुनाव आयोग पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, राज्य आयोग को इस बारे में राज्य सरकार या मुख्य सचिव से बात करनी चाहिए। साथ ही, भाजपा जो उपदेश दे रही है केंद्र सरकार को पहले बंगाल को मिलने वाले 2 लाख करोड़ रुपये जारी करने चाहिए। सरकार बीएलओ को 12,000 रुपये के बजाय 50,000 रुपये देगी लेकिन, केंद्र की बांग्ला-विरोधी सरकार पहले बंगाल का वह फंड जारी करे जिसे उसने रोक रखा है।"
हड़बड़ी और दबाव में शुरू की गयी SIR, हुआ साबित
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने आरोप लगाया कि भाजपा के कहने पर चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर शुरू की गयी। चुनाव आयोग ने बिना किसी अग्रिम तैयारी की इसकी शुरूआत कर दी। भाजपा के कहने पर यह किया गया। अब वे समझ रहे हैं कि बिना प्लानिंग के चलना संभव नहीं हो पा रहा है इसलिए सात दिन सभी प्रक्रिया में बढ़ाया है। हालांकि क्या यह बढ़ाये गये सात दिन काफी है? अभी भी यह प्रश्न खड़ा है। इन सभी के बीच इतने लोगों की जाने गयी इसका दायित्व कौन लेगा। जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि चुनाव आयोग और भाजपा को 40 लोगों की मौत का दायित्व लेना ही होगा। हमलोग अभी भी सवाल कर रहे हैं क्यों चुनाव आयोग ने बिना प्लानिंग के इसकी शुरूआत की।
क्या कहना है माकपा
माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि मैं नहीं जनता हूं कि चुनाव आयोग अपनी विफलताओं को स्वीकार करेगा या नहीं। 28 तारीख को हुई ऑल पार्टी मीटिंग के बाद मैंने कहा था कि एसआईआर बिना प्लानिंग की हुई है। सात दिन बढ़ाना, यह अब स्पष्ट हो गया है। हर दायित्व बीएलओ पर थोपा गया, एक के बाद एक केवल नोटिफिकेशन जारी की गयी। सुजन ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा की बात मानकर एसआईआर शुरू किया। उन्होंने कहा कि यदि एक भी योग्य वोटर का नाम हटा तो कोई भी छोड़कर बात नहीं करेगा। भूतों की तालिका नहीं चलेगी। योग्य का नाम कटा तो ठीक नहीं होगा।