

कोलकाताः पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री कांति गांगुली ने बुधवार को बताया कि उन्हें राज्य में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में सुनवाई के लिए निर्वाचन आयोग ने तलब किया है। वहीं एसआईआर के सिलसिले में सुनवाई के लिए प्रसिद्ध बांग्ला कवि एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित जय गोस्वामी को भी बुलाया गया है।
वाम मोर्चा के शासनकाल के दौरान एक दशक तक राज्य मंत्रिमंडल में शामिल रह चुके 82 वर्षीय गांगुली ने कहा कि उन्हें दो जनवरी को चुनाव अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता ने कहा, ‘‘मुझे दो जनवरी को सुनवाई के लिए पेश होने का नोटिस पाकर बहुत आश्चर्य हुआ है। मुझे इसका कारण नहीं पता। मेरा नाम 2002 की मसौदा सूची में है। मैं कई दशकों से मतदान करता आ रहा हूं। मैंने आयोग को अपना जवाब भेज दिया है और मैं सुनवाई के लिए अवश्य उपस्थित रहूंगा।’’
गांगुली ने किये थे सभी कागजात जमा
आयोग को दिए अपने जवाब में, गांगुली ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन का विस्तृत विवरण दिया, जिसमें विधायक और मंत्री के रूप में वर्षों तक दी गई सेवा का जिक्र है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्षद और नगर समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने द्वारा संभाले गए विभिन्न पदों का भी उल्लेख किया है।’’ गांगुली ने कहा कि उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया के अनुरूप गणना प्रपत्र के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे और इसके बावजूद उन्हें नोटिस जारी करने की दलील समझ नहीं आ रही।
प्रसिद्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी नोटिस पाकर हैरान
इधर निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के सिलसिले में सुनवाई के लिए प्रसिद्ध बांग्ला कवि एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित जय गोस्वामी को बुलाया है। कवि के परिवार ने बुधवार को यह जानकारी दी। गोस्वामी की बेटी देवार्थी ने बताया कि हाल में उनके पिता की सर्जरी हुई है और उनकी तबीयत ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि 74 वर्षीय गोस्वामी को दो जनवरी को एसआईआर से जुड़ी सुनवाई में उपस्थित होने को कहा गया है। देवार्थी के अनुसार, परिवार के सभी सदस्यों ने समय पर गणना प्रपत्र भरकर जमा कर दिए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह स्वयं और उनके पिता ऐसे मतदाताओं की सूची में हैं जिनके बारे में पता नहीं चल सका है क्योंकि उनके नाम 2002 की मतदाता सूची में दर्ज नहीं थे।
देवार्थी ने कहा, “मेरे पिता से कुछ अतिरिक्त जानकारी और दस्तावेज मांगे गए हैं। उनकी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उनके लिए सुनवाई में उपस्थित होना संभव नहीं है। इसलिए मैं आवश्यक दस्तावेजों और जानकारी के साथ सुनवाई के दिन स्वयं जाऊंगी।” उन्होंने यह भी बताया कि जय गोस्वामी पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से मतदान करते आ रहे हैं। बाद में निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि आयोग ने फोन पर गोस्वामी के परिवार से बात की है और उन्हें पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया गया है।
तृणमूल कांग्रेस ने की आलोचना
यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया के तहत सुनवाइयों के दौरान कतार में खड़े रहने से बुजुर्ग मतदाताओं के बीमार पड़ने की शिकायतें सामने आई हैं। निर्वाचन आयोग ने हाल में अधिसूचना जारी कर कहा है कि 85 वर्ष से अधिक आयु के या गंभीर रूप से बीमार मतदाताओं की सुनवाई उनके आवास पर की जाएगी।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं राज्य के शिक्षा मंत्री व्रत्य बसु ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह कल्पना से परे है कि जय गोस्वामी जैसे कवि को सुनवाई के लिए बुलाया जाए जो वर्षों से बंगाल में मतदान करते आ रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर एक अग्रणी कवि के रूप में जाने जाते हैं।’’ बसु ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि यदि रवींद्रनाथ टैगोर आज जीवित होते, तो “क्या पता उन्हें भी सुनवाई के लिए बुला लिया जाता।”