

सबिता राय, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एसआईआर प्रक्रिया के तहत अब सुनवाई की प्रक्रिया जारी है। इस दौरान कई तस्वीरे सामने आयी जहां देखा गया कि अस्वस्थ लोग भी सुनवाई के लिए पहुंच रहे है। तृणमूल कांग्रेस ने इसे लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा और अमानविक होने का आरोप लगाया है। मंत्री डॉ. शशि पांजा ने रविवार को कहा कि तृणमूल की तरफ से चुनाव आयोग से दो सवाल पूछे जा रहे हैं। क्या चुनाव आयोग को दिखता नहीं या देखने की कोशिश ही नहीं करते हैं। बड़े बुजुर्ग या जो शारीरिक रूप से कमजोर व अक्षम हैं, उन पर भी दया नहीं आती है। ऐसे लोग कैसे एसआईआर सुनवाई के लिए पहुंचेंगे ? कोई एंबुलेंस में आ रहा है किसी को कंथों पर उठाकर लाना पड़ रहा है, आखिर चुनाव आयोग इतना अमानविक कैसे हो सकता है। शशि पांजा ने निर्वाचन आयोग के रवैये को ‘‘अमानवीय’’ बताया।
घर में पहुंचकर करें हियरिंग
तृणमूल की तरफ से चुनाव से सवाल किया गया है कि क्यों नहीं बुजुर्ग या जो शारीरिक रूप से कमजोर व अक्षम ऐसे लोगों के घर में पहुंचकर हियरिंग की जा रही है? घर में पहुंचकर हेयरिंग कीजिए। दूसरा सवाल यह है कि 1.36 करोड़ लोग जिन्हें हेयरिंग में बुलाया जा रहा है या जाना है, सवाल यह है कि उन्हें किस आधार पर बुलाया जा रहा है? इसका क्या डेटा है। पांजा ने यह भी कहा कि जहां ऐसी खबरें हैं कि कुल 1.36 करोड़ लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा, वहीं एक तार्किक विसंगति बनी हुई है। निर्वाचन आयोग ने उपलब्ध आंकड़े के बावजूद यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें अस्थायी मतदाता सूची से किस आधार पर बाहर रखा गया है।
‘अनमैप्ड’ मतदाताओं की सुनवाई 27 दिसंबर को शुरू हुई
‘अनमैप्ड’ मतदाता से आशय ऐसे मतदाताओं से है जिसके दस्तावेजों का सटीक मिलान नहीं हो सका है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद पार्थ भौमिक ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने उन बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को तलब किया है जिन्हें उनकी गणना प्रपत्रों में कुछ विसंगतियों के कारण ‘अनमैप्ड’ श्रेणी में रखा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी यातना से कम नहीं है। चलने फिरने में दिक्कत के कारण निर्वाचन आयोग बुजुर्गों के घरों पर मतदान कर्मियों को भेजता है। इस बार वे वही प्रक्रिया क्यों नहीं अपना सके?’
ऐसे व्यवहार की निंदा करते हैं
सांसद पार्थ भौमिक ने कहा कि टीएमसी नेताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे को बार-बार उठाया था, लेकिन लगता है कि निर्वाचन आयोग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे व्यवहार की निंदा करते हैं।