election commission of india declares second phase of sir
निर्वाचन आयोग ने sir के दूसरे चरण की घोषणा की

SIR : बंगाल में सुनवाई के लिए 1.36 करोड़ मतदाताओं को बुलाएगा चुनाव आयोग

बंगाल की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित हुई जिसमें विभिन्न कारणों से 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं।
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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य ने निर्धारित समय सीमा के भीतर एसआईआर प्रक्रिया पूरी कर ली है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने मंगलवार को कहा, ‘‘बड़े राज्यों में हमने समय पर काम पूरा कर लिया। अन्य राज्यों ने अधिक समय मांगा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लगभग एक करोड़ 36 लाख मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। हालांकि, यह संख्या कम हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश सुनवाई में उपस्थित नहीं हो पाता है तो उस पर निश्चित रूप से विचार किया जाएगा।’’ अग्रवाल ने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान इन मतदाताओं के नाम चिह्नित किए गए थे।

मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की, जिसमें मृत्यु और पलायन सहित विभिन्न कारणों से 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जिलों और सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाता सूची को फिर से तैयार किया गया।

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मतदाताओं के नाम कटने पर मुख्यमंत्री ने जतायी आपत्ति

इधर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी हालत में वैध और जीवित मतदाता का नाम सूची से बाहर नहीं होना चाहिए। उन्होंने बीएलए से आग्रह किया कि जिन लोगों के नाम कटे हैं, उनके घर जाकर संपर्क करें और दस्तावेजों की जांच करें। जरूरत पड़ने पर घर-घर जाकर सहायता देने के निर्देश भी दिए गए। बीएलए की ओर से दावा किया गया कि वे घर-घर गए थे, लेकिन कई मतदाताओं ने फॉर्म भरकर लौटाया नहीं, जिससे स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह तर्क पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।

मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में हजारों मतदाताओं के नाम प्रकाशित सूची में नहीं हैं। इस बात से खपा उन्होंने सवाल उठाया कि जीवित मतदाताओं को मृत या डिलीट सूची में कैसे डाला जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि जिनके नाम कटे हैं, उनके घर जाकर दोबारा सत्यापन किया जाए, खासकर हाई-राइज इमारतों में। बताया गया कि वार्ड 70, 72 और 77 में सबसे ज्यादा नाम कटे हैं। कुछ मामलों में शिफ्ट हुए मतदाताओं और बिहार, उत्तर प्रदेश व ओडिशा के प्रवासी मतदाताओं के नाम SIR प्रक्रिया में उनके गृह राज्यों में बने रहने के कारण हटे हैं।

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