नयी दिल्ली : अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन’ के अंतरिक्ष प्रयोगशाला से जुड़ने के साथ ही गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य सहयात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंच गये। अंतरिक्ष यान उस समय आईएसएस से जुड़ा जब यह भारतीय समयानुसार शाम 4:01 बजे उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा था। यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस की यात्रा पर गया है। डॉकिंग से पहले शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वे सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थितियों में ‘एक बच्चे की तरह’ रहना सीख रहे हैं और जब अंतरिक्ष यान ‘ड्रैगन’ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने की अपनी यात्रा में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था तो निर्वात में तैरना एक अद्भुत अनुभव था।
गुरुवार शाम शाम 4:01 बजे आईएसएस से ‘जुड़ा’ स्पेसएक्स ड्रैगन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को सुबह 6:31 बजे (भारतीय समयानुसार शाम 4:01 बजे) एक्सिओम मिशन-4 के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचा। नासा के एक लाइव वीडियो में अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन के पास आते हुए दिखाया गया और ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:15 बजे पूरी हुई। अंतरिक्ष यान और आईएसएस के बीच संचार और ऊर्जा संपर्क स्थापित होने के साथ ही ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया पूरी हो गयी। अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी ह्विटसन मिशन कमांडर हैं और शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के लिए मिशन पायलट हैं। इनके अलावा हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू एवं पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं।
अपने अपने देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने शुभांशु, टिबोर और स्लावोज!
लखनऊ में जन्मे 39 वर्षीय शुक्ला अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गये हैं। इससे 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के तहत कक्षा में आठ दिन रहे थे। पोलैंड के इंजीनियर स्लावोज एक मिशन विशेषज्ञ और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री हैं। वे अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले अपने देश के दूसरे व्यक्ति बन गये हैं। मैकेनिकल इंजीनियर और मिशन विशेषज्ञ टिबोर कपू अंतरिक्ष में जाने वाले हंगरी के दूसरे यात्री बन गये हैं। हंगरी का आखिरी अंतरिक्ष मिशन 45 साल पहले हुआ था। एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री बुधवार को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से आईएसएस की यात्रा पर निकले थे।
‘बच्चे की तरह चलना, खाना-पीना सीख रहा हूं, इस अनुभव का आनंद ले रहा हूं’
अंतरिक्ष यान से एक वीडियो लिंक के जरिये अपना अनुभव साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के प्रक्षेपण से पहले 30 दिन तक पृथकवास के दौरान बाहरी दुनिया से पूरी तरह दूर रहने के बाद मेरे दिमाग में केवल यही विचार आया था कि हमें बस जाने दिया जाये। शुक्ला ने कहा- वाह! अद्भुत सफ़र था! सच कहूं तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं! अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेसएक्स के नये ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ‘ग्रेस’ नाम दिया है। उन्होंने हंस जैसे दिखने वाले एक खिलौने ‘जॉय’ के बारे में भी बताया जो शून्य गुरुत्वाकर्षण संकेतक है और एक्सिओम-4 मिशन पर चालक दल का पांचवां सदस्य है।
‘शुरुआती कुछ क्षण तो अच्छे नहीं लगे लेकिन जल्द ही यह एक अद्भुत अहसास बन गया’
प्रक्षेपण के दौरान गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्हें अपनी सीट पर पीछे धकेला जा रहा हो लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो यह कुछ खास था। आप सीट पर पीछे की ओर धकेले जा रहे थे। यह एक अद्भुत सफर था और फिर अचानक कुछ भी महसूस नहीं हुआ। सब कुछ शांत था और आप बस तैर रहे थे। आप बेल्ट खोलकर निर्वात में तैर रहे थे। उन्होंने कहा कि निर्वात में जाने के बाद पहले कुछ क्षण तो अच्छे नहीं लगे लेकिन जल्द ही यह एक ‘अद्भुत अहसास’ बन गया। शुक्ला ने कहा कि मैं इसकी अच्छी तरह से आदत डाल रहा हूं। मैं नजारों आनंद ले रहा हूं, अनुभव ले रहा हूं और एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं। यह सीख रहा हूं कि कैसे चहलकदमी करूं, अपने आप पर नियंत्रण रखना सीख रहा हूं, खाना-पीना सीख रहा हूं। यह सब बहुत रोमांचक है। यह एक नया माहौल, एक नयी चुनौती है और मैं यहां अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस अनुभव का आनंद उठा रहा हूं। गलतियां करना अच्छा है लेकिन किसी और को भी गलतियां करते देखना और भी अच्छा है इसलिए यह एक मजेदार वक्त है!