

निधि, सन्मार्ग संवाददाता
बशीरहाट: शेख शाहजहाँ से जुड़े मामलों में मुख्य गवाह भोलानाथ घोष के बेटे और ड्राइवर की बुधवार को ट्रक की टक्कर से हुई दर्दनाक मौत के मामले ने अब एक नया और सनसनीखेज मोड़ ले लिया है। भोलानाथ घोष ने इस घटना को महज़ दुर्घटना मानने से इनकार करते हुए, साज़िश रचकर हत्या करवाने की कोशिश का गंभीर आरोप लगाया है।
गुरुवार को, भोलानाथ घोष ने नैजाट थाने में आठ लोगों के ख़िलाफ़ नामजद एफआईआर दर्ज कराई है, जिससे यह संदेह गहरा गया है कि यह पूरी घटना पूर्व नियोजित थी।
शिकायत में नामित किए गए आठ लोगों में सबसे प्रमुख नाम जेल में बंद मुख्य आरोपी शेख शाहजहाँ का है। इसके अलावा, एफ़आईआर में उसकी पत्नी तसलिमा बीबी, गफ्फार शेख, साबिर अली मोल्ला, छयराप मीर, अबुल कहार मोल्ला, अब्दुल अली मोल्ला और नजरूल मोल्ला शामिल हैं।
अब्दुल अली मोल्ला को दुर्घटना को अंजाम देने वाले ट्रक का कथित ड्राइवर बताया गया है।
नजरूल मोल्ला पर आरोप है कि वह मोटरसाइकिल चालक था, जिसकी बाइक पर बैठकर अब्दुल अली मोल्ला दुर्घटना के बाद मौके से फरार हो गया था।
भोलानाथ घोष ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि शाहजहाँ शेख ने जेल में बैठकर ही इस पूरी हत्या की साजिश को अंजाम दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि शाहजहाँ ने सबसे पहले अपनी पत्नी तसलिमा बीबी को इस आपराधिक योजना के बारे में बताया, जिसके बाद शाहजहाँ के अन्य साथियों ने मिलकर पूरी योजना को कार्यान्वित किया।
भोलानाथ घोष ने यह भी आरोप लगाया है कि 1 अप्रैल, 2024 को लंबे समय तक बाहर रहने के बाद जब वह घर लौटे, तब से शाहजहाँ के निर्देश पर उन पर लगातार जानलेवा हमले की कोशिशें की जा रही थीं।
पुलिस के अनुसार, यह एफ़आईआर भारतीय दंड संहिता (IPC) की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज की गई है, जिनमें हत्या (Murder) और हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) की धाराएं शामिल हैं। इसके अलावा, आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy) और सामान्य उद्देश्य (Common Intention) के साथ अपराध करने संबंधी धाराएं भी लगाई गई हैं।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एसडीपीओ कौशिक बसाक ने पुष्टि की है कि उन्हें शिकायत मिल गई है और जाँच जारी है। उन्होंने कहा, "अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन अभियुक्तों को चिह्नित कर जल्द ही गिरफ्तारियां की जाएंगी।"
यह घटनाक्रम शाहजहाँ शेख से जुड़े मामलों की संवेदनशीलता को और बढ़ा देता है और पुलिस पर त्वरित तथा निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ गया है, खासकर तब जब घटना के 24 घंटे बीत जाने के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।