सर्जरी ट्रेनिंग में शवों की कमी को देख, छात्र व प्रोफेसर ने किया गजब का अ‌ाविष्कार

सर्जरी ट्रेनिंग में शवों की कमी को देख, छात्र व प्रोफेसर ने किया गजब का अ‌ाविष्कार
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नई दिल्ली: भारत में मेडिकल शिक्षा का तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही नई चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। मेडिकल छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण सर्जरी ट्रेनिंग के लिए आवश्यक शवों की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। खासतौर पर बाल चिकित्सा सर्जरी में छात्रों को पर्याप्त प्रैक्टिस का अवसर नहीं मिल पाता। इस समस्या को हल करने की दिशा में IIT दिल्ली ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। IIT दिल्ली के टेक्सटाइल इंजीनियरिंग और फायर सेफ्टी विभाग के पीएचडी छात्र जोगेंद्र राठौर ने अपने प्रोफेसर अश्विनी कुमार अग्रवाल के साथ मिलकर बच्चों की शारीरिक संरचना और बनावट से मेल खाने वाला सिंथेटिक सर्जिकल मॉडल बनाया है। यह मॉडल बाल चिकित्सा सर्जरी की ट्रेनिंग के लिए माना जा रहा है।

 

AIIMS ने की सराहना

दिल्ली के AIIMS ने इस मॉडल की उपयोगिता को पहचाना और हाल ही में इसके उपयोग पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में मेदांता और अन्य प्रमुख अस्पतालों के सर्जनों ने भाग लिया और इसे ट्रेनिंग के लिए बेहद प्रभावी बताया।

जापान, फिलीपींस और यूएई के सर्जन भी इस मॉडल को खरीद चुके हैं और इसकी प्रशंसा कर रहे हैं। जोगेंद्र राठौर ने इस मॉडल को एक प्रोडक्ट के रूप में लॉन्च किया है, जो न केवल भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई संभावनाएँ खोल रहा है। यह आविष्कार न केवल मेडिकल छात्रों की सर्जरी ट्रेनिंग को बेहतर बनाएगा, बल्कि भारत को चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाई पर ले जाने में मदद करेगा।

 

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