कर्मचारी अपने बकाया के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट

6 सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को भुगतान करने का निर्देश
Supreme Court of India
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कोलकाता: राज्य सरकार के कर्मचारियों के बकाये महंगाई भत्ते के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की उस शुरुआती दलील को जिसमें सरकार ने कहा था कि महंगाई भत्ता देना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है क्योंकि महंगाई भत्ता कर्मचारियों का मौलिक अधिकार नहीं है, को खारिज करते हुए कहा है कि कर्मचारी अपने बकाये महंगाई भत्ते के भुगतान के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने अदालत में कहा कि वह यथासंभव महंगाई भत्ता प्रदान करने के लिए इच्छुक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति में कहा गया है कि यह अदालत तय करेगी कि महंगाई भत्ता प्राप्त करना कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है या नहीं। हालाँकि, हमारी राय में, सरकारी कर्मचारी अपना बकाया पाने के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते।

अदालत फैसला करेगी महंगाई भत्ता मौलिक अधिकार है या नहीं

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी कर्मचारियों के डीए को लेकर बड़ा आदेश दिया। सरकार को मामले के निपटारे से पहले कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ते का कम से कम 25 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश शनिवार को प्रकाशित हुआ। देश की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि यह धनराशि अगले छह सप्ताह के भीतर चुकाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि डीए मामले में सभी पक्षों को अगले 4 सप्ताह के भीतर अपने बयान पेश करने होंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी। देखने वाली बात यह होगी कि अब इस पर राज्य सरकार क्या कदम उठाती है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेंगी अंतिम निर्णय

तृणमूल के कई नेताओं और मंत्रियों के अनुसार, राज्य सरकार के पास अब दो विकल्प हैं। पहला, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देना और शीर्ष न्यायालय के दूसरे पीठ में मामला दायर करना। दूसरा, विभिन्न लोक कल्याण परियोजनाओं से वित्तीय आवंटन में कटौती करके महंगाई भत्ते के लिए धन जुटाना। नेता और मंत्री स्वयं निजी चर्चा में स्वीकार कर रहे हैं कि पहले चरण (निर्देश को चुनौती देने) की संभावना 'कम' है। वहीं राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि मैं फिलहाल कोर्ट के आदेश पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करूंगी। समय पर सरकार में चर्चा करके इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। एक सूत्र का दावा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर अंतिम निर्णय लेंगी। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार को बकाया महंगाई भत्ते का 25 प्रतिशत भुगतान करना पड़ेगा।

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