

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : रूफ टॉप पर बने रेस्तरां फिलहाल गिराए नहीं जाएंगे। हाई कोर्ट के जस्टिस गौरांग कांत के कोर्ट में इस बाबत दायर रिट पर सोमवार को सुनवायी के दौरान केएमसी के एडवोकेट की तरफ से मौखिक अंडरटेकिंग दी गई। लिहाजा कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया। इसकी अगली सुनवायी वृहस्पतिवार को होगी। अलबत्ता जस्टिस कांत ने सुनवायी के दौरान केएमसी से सवाल किया कि आप किस कानून के तहत इन रेस्तराओं को तोड़ रहे हैं।
केएमसी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट सप्तांशु बसु की दलील थी कि अभी अभी उन्हें ब्रीफ मिली है, इसलिए उन्हें थोड़ा समय दिया जाए। इसके बाद पीटिशनर की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट सब्यसाची चौधरी ने अपील किया कि तो फिर अंतरिम आदेश दिया जाए। इसके जवाब में एडवोकेट बसु ने कहा कि वे इस बात की मौखिक अंडरटेकिंग दे रहे हैं कि वृहस्पतिवार तक कोई कार्रवाई इस दिशा में नहीं की जाएगी। जस्टिस कांत ने सवाल किया कि आप किस कानून के तहत इन रेस्तराओं को तोड़ रहे हैं। नोटिस तो केएमसी एक्ट की धारा 401 के तहत दी गई है, काम रोके जाने के लिए इस धारा के तहत नोटिस दी जाती है। जस्टिस कांत का सवाल था कि धारा 408 के तहत कोई नोटिस नहीं दी गई है। एडवोकेट चौधरी का सवाल था कि तोड़े जाने का काम रात को क्यों शुरू किया गया। इस वजह से उनके पीटिशनर को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। टेबल और शीशे आदि तोड़ दिए गए। उनका सवाल था कि ये रेस्तरां तो रातोरात नहीं उग आए हैं। उनके पास अपडेट ट्रेड लाइसेंस और फायर लाइसेंस है। उनका सवाल था कि इस तरह का फैसला तो मेयर इन काउंसिल की बैठक में लिया जाना था। यह बैठक कब हुई थी। रातोरात इस तरह का फैसला नहीं लिया जा सकता है। उनका सवाल था कि अगर सरकार ने इस बाबत नीतिगत फैसला लिया है तो इसका खुलासा करे। इसके बाद देखा जाएगा कि इसे कब और किस तरह चुनौती दी जा सकती है। जस्टिस कांत ने पीटिशनर को आदेश दिया कि अगली सुनवायी में वह नक्शे की शक्ल में ब्लू प्रिंट की कापी पेश करे। यहां गौरतलब है कि एलएमएनओ ने यह पीटिशन दायर किया है। अब यह बात दीगर है कि केएएमसी की इस अंडरटेकिंग का असर सैद्धांतिक रूप से सभी पर लागू होगा।