नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन निर्वासित करने (डिपोर्ट) पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए याचियों पर तल्ख टिप्पणी की है कि जब देश ऐसे कठिन समय से गुजर रहा है तब आप ऐसे काल्पनिक विचार लेकर आते हैं।
आपके पास ये जानकारियां कहां से आती हैं? : कोर्ट ने किया सवाल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत के पीठ ने ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों (जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति वाले लोग शामिल हैं) को भारत सरकार द्वारा जबरन म्यांमार निर्वासित करने के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की कि जो कुछ आपने अपनी याचिका में बात कही है, उसका आधार क्या है? आप हमें कुछ जानकारी दें और जो सामग्री है वो दिखाएं, आपके पास यह जानकारियां कहां से आती हैं? पीठ ने कहा कि आप हर रोज एक नयी कहानी लेकर आते हैं। हम जिस हालत से गुजर रहे हैं, उसमें आप काल्पनिक कहानी गढ़ कर अदालत के सामने आ जाते हैं। एक बार अदालत ने आपको राहत दे दी तो बार-बार नयी कहानी के साथ आ जाते हैं। यदि आपको इतनी ही चिंता है तो गरीबों के लिए कुछ खुद क्यों नहीं करते?
अगर याची वापस आया तो कैसे वापस आया?
पीठ ने साथ ही उन्होंने याची की ओर से पेश अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस से पूछा कि जो कुछ आप बता रहे हैं, उसे किसने रिकॉर्ड किया? अगर याची वापस आया तो कैसे वापस आया। पीठ ने कहा कि इस देश में साक्ष्य का एक जाना-माना कानून है। कृपया हमें बताएं कि यह जानकारी कहां से आयी है और किसने कहा कि मुझे इसकी व्यक्तिगत जानकारी है। इस पर गोंजाल्विस ने पीठ पर दबाव डाला और बताया कि 38 लोगों को निर्वासित किया गया, उन्हें अंडमान ले जाया गया और समुद्र में फेंक दिया गया। वे अब युद्ध क्षेत्र में हैं।
अब इस मामले पर 31 जुलाई को सुनवाई
शीर्ष न्यायालय ने इस याचिका को अपने तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष लंबित इसी तरह की याचिका के साथ जोड़ा है। अब इस मामले में 31 जुलाई को सुनवाई होगी। इस बीच शीर्ष न्यायालय ने वकीलों से अपने दावों के समर्थन में सुबूत पेश करने को कहा है। साथ ही डिपोर्ट पर अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया है।