

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : उत्तर और मध्य अंडमान में लंबे समय से बदहाल पड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग-4 सड़क की मरम्मत की मांग को लेकर शनिवार की सुबह माया तहसील के रेस्ट कैंप क्षेत्र में स्थानीय निवासियों ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया।
सुबह लगभग 7:30 बजे शुरू हुआ यह प्रदर्शन करीब ढाई घंटे तक जारी रहा, जिसके दौरान वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप रही। स्थानीय निवासियों का कहना था कि राष्ट्रीय राजमार्ग-4 के जर्जर होने से उन्हें रोजमर्रा की आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर गहरे गड्ढे, धंसे हुए हिस्से और अधूरा निर्माण कार्य लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राष्ट्रीय राजमार्ग -4 का निर्माण उच्च गुणवत्ता के साथ जल्द से जल्द पूरा किया जाए और जहां-जहां सड़क टूटी हुई है, वहां की मरम्मत ठोस तरीके से की जाए। प्रदर्शन की जानकारी मिलने पर मायाबंदर के सहायक आयुक्त मौके पर पहुंचे। उन्होंने लोगों से अपील की कि सड़क को अवरुद्ध न करें और अपनी समस्याएं शांतिपूर्वक रखें। निवासियों ने अपनी परेशानियां विस्तार से बताईं, जिसके बाद सहायक आयुक्त ने आश्वासन दिया कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और ठेकेदार से रोजाना रिपोर्ट ली जाएगी।
मौके पर पहुंचे तहसीलदार भवानी चक्रवर्ती ने भी प्रदर्शनकारियों से संवाद किया। उन्होंने बताया कि मरम्मत कार्य शुरू हो चुका है और अगले पांच दिनों में सभी गड्ढों को भरने का काम पूरा कर लिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, बारिश के कारण पहले कार्य में बाधा थी, लेकिन अब मौसम सुधरने के बाद काम तेजी से चल रहा है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य मानक नियमों के अनुसार नहीं किया गया, न ही सड़क के किनारे ड्रेनेज और सुरक्षा दीवारें (रेटेनिंग वॉल) बनाई गईं। उनका कहना है कि सिर्फ गड्ढों में सीमेंट या पत्थर डाल देना अस्थायी समाधान है, इससे सड़क लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से आग्रह किया कि सड़क निर्माण का कार्य आईआईटी टीम या किसी तकनीकी एजेंसी की निगरानी में कराया जाए, ताकि भविष्य में दोबारा ऐसी समस्या न उत्पन्न हो। अंततः, सुबह 9:50 बजे प्रशासन के लिखित और मौखिक आश्वासन के बाद प्रदर्शन शांतिपूर्वक समाप्त हुआ। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि अगर निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी हुई या वादा पूरा नहीं किया गया, तो वे पुनः आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।