
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट इन दिनों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि अमेरिका से आने वाली कुछ उड़ानें रिफ्यूलिंग के लिए यहां उतर रही हैं। इसका प्रमुख कारण है पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) का उपयोग न कर पाना, जिसके चलते भारतीय एयरलाइंस, खासकर एयर इंडिया, को वैकल्पिक रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय उड़ानों के लिए प्रतिबंधित कर रखा है, जिसके कारण लंबी दूरी की उड़ानों, विशेष रूप से अमेरिका से भारत के पश्चिमी शहरों (मुंबई, बंगलुरु) तक जाने वाली उड़ानों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने पड़ रहे हैं। ये मार्ग लंबे होने के कारण विमानों को अतिरिक्त ईंधन की आवश्यकता होती है। चूंकि सभी विमान एक बार में इतना ईंधन नहीं ले जा सकते, इसलिए कोलकाता जैसे हवाई अड्डों को रिफ्यूलिंग स्टॉप के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। एयर इंडिया की दो प्रमुख उड़ानें, जो लॉस एंजिल्स (एलए) और सैन फ्रांसिस्को से भारत आ रही हैं, अब कोलकाता में रिफ्यूलिंग के लिए रुक रही हैं। रिफ्यूलिंग के बाद ये उड़ानें मुंबई और बंगलुरु जैसे पश्चिमी शहरों के लिए रवाना हो रही हैं, जहां अमेरिका के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
कोलकाता के यात्रियों की मांग
कोलकाता के यात्रियों ने इस स्थिति को एक अवसर के रूप में देखा है। वर्तमान में कोलकाता से यूरोप या अमेरिका के लिए कोई सीधी उड़ान उपलब्ध नहीं है। यात्रियों को दिल्ली, मुंबई या बंगलुरु जैसे शहरों से कनेक्टिंग उड़ानें लेनी पड़ती हैं, जिससे उनकी यात्रा लंबी और थकाऊ हो जाती है। अब जब अमेरिका से आने वाली उड़ानें कोलकाता में रिफ्यूलिंग के लिए उतर रही हैं, तो यात्रियों की मांग है कि उन्हें इन उड़ानों में कोलकाता में उतरने की अनुमति दी जाए।
इस बारे में ट्रैवेल एजेंट्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया, ईस्ट के चेयरमेन व एयरकॉम ट्रैवेल्स के डायरेक्टर अंजनी धानुका ने बताया कि कई यात्रियों ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि अगर इन विमानों को रिफ्यूलिंग के लिए कोलकाता में उतारा जा रहा है, तो इमिग्रेशन और कस्टम्स प्रक्रिया को यहां पूरा करके यात्रियों को यहीं उतरने की सुविधा दी जानी चाहिए। इससे न केवल यात्रियों का समय बचेगा, बल्कि कोलकाता के हवाई अड्डे की व्यावसायिक संभावनाएं भी बढ़ेंगी। धानुका के अनुसार, इस व्यवस्था से यात्रियों का 7 से 8 घंटे का समय बच सकता है, जो कनेक्टिंग उड़ानों में बर्बाद होता है।
अंतररष्ट्रीय उड़ान होने के कारण नहीं उतर पाते हैं यात्री
यात्रियों की यह मांग लागू करना इतना आसान नहीं है। कोलकाता हवाई अड्डा प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि घरेलू उड़ानों में ऐसी सुविधा उपलब्ध है। यदि किसी यात्री का टिकट कोलकाता के लिए है और उड़ान कनेक्टिंग है, तो वे यहां उतर सकते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए यह प्रक्रिया जटिल है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में कस्टम्स और इमिग्रेशन क्लियरेंस अनिवार्य होता है, और कोलकाता हवाई अड्डे पर इन उड़ानों के यात्री जो कोलकाता उतरना चाहते हैं, उन्हें इनकी अनुमति नहीं है। बिना औपचारिकताओं के यात्रियों को उतारना संभव नहीं है। इसके अलावा, इन उड़ानों का प्राथमिक उद्देश्य रिफ्यूलिंग है, न कि यात्री उतारना, जिसके कारण एयरलाइंस और हवाई अड्डा प्राधिकरण इस बदलाव के लिए तैयार नहीं हो सकते।
नई उड़ानों की शुरुआत
इस बीच, कोलकाता के यात्रियों के लिए एक और अच्छी खबर है। इंडिगो एयरलाइंस ने घोषणा की है कि वह 2 जुलाई से मुंबई से मैनचेस्टर और एम्स्टर्डम के लिए उड़ानें शुरू करने जा रही है। इससे कोलकाता के यात्रियों को इन यूरोपीय शहरों के लिए मुंबई से एक और कनेक्टिंग उड़ान का विकल्प मिलेगा। कनेक्टिविटी के लिहाज से यह एक सकारात्मक कदम है। कोलकाता का हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, और रिफ्यूलिंग स्टॉप के रूप में इसकी भूमिका बढ़ने से इसके अंतरराष्ट्रीय महत्व में वृद्धि हो सकती है।