

नई दिल्ली - देश में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं, जिनमें केरल और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। इसी बीच एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसने सभी को हिला कर रख दिया है। महाराष्ट्र में एक सरकारी डॉक्टर पर आरोप है कि उसने अपने एक सहकर्मी को एक महिला कोविड मरीज की जान लेने का आदेश दिया था। यह घटना उस समय की है जब देश महामारी के सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा था और अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ थी।
सरकारी डॉक्टर का ऑडियो वायरल
सरकारी डॉक्टर और उनके सहयोगी की एक बातचीत का ऑडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। मामला 2021 का है, जब महाराष्ट्र की रहने वाली कौसर फातिमा कोरोना संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें लातूर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस समय अस्पतालों में संसाधनों की भारी कमी थी और मरीजों की हालत बेहद गंभीर थी। वायरल ऑडियो में दावा किया जा रहा है कि उस समय के अतिरिक्त जिला सर्जन डॉ. शशिकांत देशपांडे ने अपने सहयोगी डॉ. शशिकांत डांगे को फोन कर कहा था, "उस महिला को मार डालो।" यह सुनकर, जो कि उस समय मरीज कौसर फातिमा के पास मौजूद थे, डॉ. डांगे अंदर तक सदमे में आ गए।
चुप रहे डॉक्टर डांगे
डॉ. डांगे ने बताया कि उस वक्त मरीज को दी जा रही ऑक्सीजन सपोर्ट पहले ही घटा दी गई थी, और बातचीत के दौरान जाति से जुड़ी आपत्तिजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया गया। उस समय वे चुप रहे क्योंकि उनकी पत्नी का इलाज भी चल रहा था। हालांकि, कुछ समय बाद कौसर फातिमा की तबीयत में सुधार हुआ और वह ठीक होकर घर लौट गईं। अब हाल ही में दोनों डॉक्टरों की बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिससे कौसर के परिवार को गहरा सदमा पहुंचा है। इसके बाद कौसर के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
पुलिस ने कई धाराओं में मामला किया दर्ज
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। डॉक्टर देशपांडे के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने समेत कई धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। पुलिस डॉक्टर डांगे से भी पूछताछ कर रही है। यह घटना न केवल मरीज के परिवार को बल्कि पूरे समाज को भी सोचने पर मजबूर कर रही है और लोग सवाल उठा रहे हैं कि कोविड की सबसे गंभीर स्थिति में इंसानियत की क्या हद थी।