13 साल बाद सुंदरबन में दिखी दुर्लभ मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट

टाइगर गणना के दौरान कैमरा ट्रैप में कैद हुई काली रंग की जंगली बिल्ली
13 साल बाद सुंदरबन में दिखी दुर्लभ मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : भारतीय सुंदरबन में 13 वर्षों बाद एक बार फिर दुर्लभ मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट (काली तेंदुआ बिल्ली) देखे जाने की पुष्टि हुई है। वर्ष 2024-25 में बाघों की संख्या के आकलन के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप अभ्यास के दौरान यह दुर्लभ दृश्य कैमरे में कैद हुआ। यह खोज वन्यजीव विशेषज्ञों और वन विभाग के लिए खास मानी जा रही है, क्योंकि यह प्रजाति अत्यंत दुर्लभ और रहस्यमयी मानी जाती है। कैमरा ट्रैप की तस्वीरें देखते समय वनकर्मियों की नजर एक काले रंग की, लंबी पूंछ वाली बिल्ली पर पड़ी, जो मैंग्रोव के जंगलों में बहुत कम देखने को मिलती है। पुराने फोटोग्राफ और साहित्य से तुलना के बाद इसकी पहचान मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट के रूप में की गई। इससे पहले ऐसी ही एक तस्वीर फरवरी 2012 में भारतीय सुंदरबन में रिकॉर्ड की गई थी, जिसे उस समय एक रहस्यमयी प्रजाति माना गया था।

क्या है मेलानिज्म ?
मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट सामान्य लेपर्ड कैट की तुलना में अधिक काले रंग की होती है। यह स्थिति एक आनुवंशिक परिवर्तन के कारण होती है, जिसमें शरीर में मेलानिन नामक रंगद्रव्य की मात्रा बढ़ जाती है। इसी प्रक्रिया को मेलानिज्म कहा जाता है। काला तेंदुआ (ब्लैक पैंथर) और सिमिलीपाल के मेलानिस्टिक बाघ इसके प्रसिद्ध उदाहरण हैं।

अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित शोध
इस महत्वपूर्ण खोज को अंतरराष्ट्रीय संरक्षण जर्नल ओरिक्स (Oryx) में प्रकाशित किया गया है। सुंदरबन टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर राजेंद्र जाखड़, जो इस अध्ययन के सह-लेखक भी हैं, ने बताया कि 2024-25 के कैमरा ट्रैप सर्वे के दौरान यह मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट दक्षिण 24 परगना वन प्रभाग के छह अलग-अलग स्थानों पर दर्ज की गई। इससे पहले की तुलना में इसके वितरण क्षेत्र के अधिक व्यापक होने के संकेत मिलते हैं। इस शोध में सुंदरबन टाइगर रिजर्व की उप-फील्ड डायरेक्टर जस्टिन जोन्स और शोध सहायक देबज्योति घोष भी सह-लेखक हैं।

रात्रिचर स्वभाव और अस्तित्व की पुष्टि
रिपोर्ट के अनुसार, तस्वीरें शाम 7 बजे से रात 3 बजे के बीच ली गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह प्रजाति रात्रिचर है। लेपर्ड कैट आमतौर पर अकेले शिकार करने वाली, रात में सक्रिय रहने वाली प्रजाति है। अध्ययन यह भी दर्शाता है कि आवास पर दबाव के बावजूद यह प्रजाति सुंदरबन में अपना अस्तित्व बनाए हुए है।

पहली तस्वीर पर मतभेद
हालांकि रिपोर्ट में इसे सुंदरबन बायोस्फियर रिजर्व में मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट की पहली फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण बताया गया है, लेकिन WWF-इंडिया के सुंदरबन चैप्टर प्रमुख अनुराग दंडा ने कहा कि 2012 में भी ऐसी ही एक मेलानिस्टिक लेपर्ड कैट कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड की गई थी। उन्होंने बताया कि यदि लेपर्ड कैट में मेलानिस्टिक गुण मौजूद हों, तो उसकी संतानों में भी यह गुण दिखाई दे सकता है। कुल मिलाकर, यह खोज न केवल सुंदरबन की जैव विविधता को रेखांकित करती है, बल्कि इस अनोखी और दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के महत्व को भी उजागर करती है।

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