रेप पीड़ित का ‘चरित्र’ अभियुक्त के बचाव का हथियार नहीं हो सकता

अभियुक्त को यह हक नहीं कि वह किसी महिला के चरित्र का गलत लाभ उठाए: कोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट की रेप के अभियुक्त को दो-टूक

अभियुक्त ने पीड़ित महिला के चरित्र पर उठाये थे सवाल

पीड़िता का दावा : धोखे से यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया

नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि बलात्कार के मामलों में पीड़िता के चरित्र, चाहे वह कितना भी दागदार क्यों न हो, को उसके खिलाफ हथियार नहीं बनाया जा सकता।

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सांकेतिक छवि

‘दागदार’ भी हो सकती है भी दुष्कर्म का शिकार

न्यायमूर्ति अमित महाजन के पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यहां तक कि जो महिला या युवती कुछ पैसे के बदले किसी व्यक्ति के साथ जाती है वह भी दुष्कर्म का शिकार हो सकती है। पीठ ने यह टिप्पणी एक बलात्कार के अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी। अभियुक्त एक विवाहित व्यक्ति है, जिस पर शादी का झूठा वादा करके बलात्कार व अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगा है। शिकायती महिला ने आरोप लगाया है कि अभियुक्त ने उसकी ड्रिंक में कुछ मिलाकर उसे यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया। उसके बाद भी अभियुक्त ने उससे शादी का झूठा वादा कर के शारीरिक संबंध बनाना जारी रखा।

अभियुक्त ने की थी ब्लैकमेल की कोशिश

महिला ने यह भी आरोप लगाया कि अभियुक्त ने उससे लगभग 8 लाख रुपये ले लिये और 10 लाख और मांगे। साथ ही धमकी दी कि यदि वह राशि नहीं देती है तो वह उसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल कर देगा। वहीं अभियुक्त ने महिला के चरित्र पर सवाल उठाते हुए दलील दी कि वह खुद पहले भी इसी तरह के आरोपों पर मामला दर्ज करा चुकी है, जिसमें अभियुक्त बरी हो चुका है। अभियुक्त ने दलील दी कि शिकायती महिला अनैतिक देहव्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भी एक मामले में फंसी थी। अभियुक्त का दावा था कि महिला ने खुद कहा था कि वह शारीरिक संबंध के लिए पैसे की मांग करती है। हालांकि इस मामले में पीठ ने कहा कि महिला के चरित्र को ढाल बनाकर कोई उसके साथ अपराध को अंजाम नहीं दे सकता है। फिर चाहे उस महिला चरित्र पूर्व में कितना भी दागदार क्यों न रहा हो। किसी अभियुक्त को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता है कि वह किसी महिला के चरित्र का गलत लाभ उठाये या ऐसी कोशिश करे।

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