KIFF 2025: 'अंग्रेजों के ज़माने के जेलर' को सिप्पी करेंगे याद

तीन दशकों से अधिक समय से दोनों में रहा अनूठा सहयोग
रमेश सिप्पी
रमेश सिप्पी
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कोलकाता: वरिष्ठ अभिनेता गोवर्धन असरानी को हमेशा 'शोले' में हिटलर की छाया में उनके तानाशाही जेलर के किरदार के लिए याद किया जाएगा, क्योंकि यह भूमिका उनके लिए जन्मजात थी। अब प्रसिद्ध निर्देशकों में से एक रमेश सिप्पी अपने पुराने सहयोगी को याद करेंगे। यह अवसर 7 नवंबर को कोलकाता फिल्म महोत्सव में आयोजित सत्यजीत रे स्मृति व्याख्यान में मिलेगा।

मंगलवार को रवींद्र सदन में आयोजित प्रेस बैठक में सूचना एवं संस्कृति सचिव शांतनु बसु ने घोषणा की कि इस वर्ष का व्याख्यान रमेश सिप्पी देंगे। उन्होंने कहा, शोले की पचासवीं वर्षगांठ पर सिप्पी का होना गर्व की बात है। उनका योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सिप्पी ने हिंदी सिनेमा को शोले (1975), सीता और गीता (1972), शान (1980), शक्ति (1982) और सागर (1985) जैसी फिल्मों से नया आयाम दिया।

हाल ही में एक साक्षात्कार में सिप्पी ने कहा कि वह असरानी के निधन से बहुत दुखी थे। उन्होंने बताया कि असरानी सहज और हास्यपूर्ण अभिनेता थे। शोले में उनका जेलर का किरदार अविस्मरणीय है। वह इतनी आसानी से भूमिका में घुलमिल गए कि किरदार जीवंत लग रहा था। सिप्पी ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी किरण जुनेजा, जो उनके ऊपर वृत्तचित्र बना रही हैं, ने असरानी से हाल ही में बातचीत की थी।

वह बिल्कुल ठीक लग रहे थे, किसी भी समस्या का संकेत नहीं था। असरानी के योगदान और उनकी हास्य प्रतिभा को याद करते हुए सिप्पी ने कहा, हम एक महान व्यक्ति और उत्कृष्ट प्रतिभा को याद करेंगे। उन्होंने करोड़ों लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी। ऐसा माना जा रहा है कि 7 नवंबर को सत्यजीत रे स्मृति व्याख्यान में सिप्पी अपने अनुभव, असरानी की यादों और सत्यजीत रे की प्रेरणा पर प्रकाश डाल सकते हैं।

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