नई दिल्लीः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चार दिसंबर से भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को यह घोषणा की। पुतिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नयी दिल्ली आएंगे।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘राष्ट्रपति पुतिन की आगामी राजकीय यात्रा भारत और रूस के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने, ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को मजबूत करने के लिए दृष्टिकोण निर्धारित करने और आपसी हित के क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगी।’
भारत-रूस के बीच कई समझौते की उम्मीद
उम्मीद जताई जा रही है कि पुतिन के दौरे के दौरान भारत-रूस के बीच ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग के नए समझौते हो सकते हैं। खासतौर से रूस और भारत के बीच ऊर्जा सुरक्षा, गैस परियोजनाओं और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नए कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, यह यात्रा वैश्विक स्तर पर दोनों देशों के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है, खासकर ऐसे समय में जब रूस पर पश्चिमी देशों ने कई प्रतिबंध लगाए हैं।
पुतिन का पहला दौरा 2002 में
गौरतलब है कि पुतिन की भारत यात्राओं का इतिहास काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। उनकी पहली यात्रा दिसंबर 2002 में हुई थी। उस समय पुतिन ने भारतीय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की थी। इस दौरे के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा और रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की थी।
दूसरी बार दिसंबर 2012 में पुतिन भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी। इस दौर में कई द्विपक्षीय समझौते हुए थे, जिनमें ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र प्रमुख थे। पुतिन की तीसरी महत्वपूर्ण यात्रा दिसंबर 2014 में हुई, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। यह यात्रा भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने वाली मानी गई।
पुतिन के हर दौरे से संबंध हुए मजबूत
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सभी यात्राओं में व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। जैसे न्यूक्लियर ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी सहयोग और सुएज जैसे रक्षा उपकरणों में साझेदारी, और गैस एवं तेल परियोजनाओं में निवेश शामिल हैं। ये समझौते दोनों देशों के बीच स्थायी सहयोग का आधार बने।