

कान को श्रवण यंत्र कहा जाता है और इसका कार्य सुनने के साथ-साथ शरीर के संतुलन को बनाए रखना भी है। यदि कान की सही देखभाल न की जाए तो विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि सुनाई में कमी और बहरापन। इस लेख में हम कान की देखभाल और उसकी संबंधित बीमारियों के बारे में जानेंगे।
कान में मैल का जमना और उसकी सफाई : कान में मैल का जमना एक सामान्य प्रक्रिया है। कान की नली में विशेष ग्रंथियां होती हैं, जो मोम जैसे पदार्थ का स्रावण करती हैं। यह पदार्थ कान की नली को स्वस्थ रखने में मदद करता है और त्वचा को संक्रामक रोगों से बचाता है। जैसे-जैसे यह पदार्थ पुराना होता है, वह बाहर की ओर निकलता है। इसे कान का मैल कहा जाता है, जिसे समय-समय पर साफ करना आवश्यक होता है।
कान की सफाई का सही तरीका : कान की सफाई के लिए बहुत से लोग रूई के बड का उपयोग करते हैं, जो कि गलत है। इस प्रक्रिया से कान का मैल बाहर की बजाय अंदर की ओर धकेल दिया जाता है, जिससे कान के पर्दे को नुकसान हो सकता है। सही तरीका यह है कि कान की सफाई चिकित्सक द्वारा सलाह लेने के बाद ही की जाए। अगर कान में बहुत अधिक या कड़ा मैल है तो चिकित्सक इसकी सफाई के लिए उचित दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं।
पानी में काम करने वालों के लिए विशेष ध्यान : पानी में काम करने या तैरने वाले व्यक्तियों में कान की समस्याएं आम होती हैं। पानी के संपर्क में आने से कान के अंदर की त्वचा नमी से फूल सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में खुजलाहट और सुनने की क्षमता में कमी हो सकती है। ऐसे मामलों में चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार करना चाहिए और उपचार के दौरान पानी में काम करने से बचना चाहिए।
शीत ऋतु में कान की समस्याएं : शीत ऋतु में भी कान की समस्याएं बनी रहती हैं, जो संकेत देती हैं कि कान में कोई द्रव मौजूद है और संक्रामक रोग फैलने का खतरा है। ऐसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह लेकर उचित उपचार, जैसे कि एंटीबायोटिक्स का सेवन किया जाना चाहिए।
नाक और कान की नली का संबंध : नाक और कान की नली का सीधा संबंध होता है। कभी-कभी चिकित्सक कान की तकलीफों में नाक में दवा डालने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे कानों में सूजन कम होती है और आराम मिलता है। हालांकि, दवाओं का अत्यधिक और लगातार उपयोग नहीं करना चाहिए।