

सन्मार्ग संवाददाता
अलीपुरदुआर : उत्तर बंगाल में हाथी-मानव संघर्ष पूरे साल भर जारी रहता है। पूरे साल भर देखा जाता है कि हाथी ने कहीं घरों पर हमला किया है तो कहीं फसलों को नष्ट किया है। वहीं मानसून के मौसम में उत्तर बंगाल में हाथी-मानव संघर्ष और भी बढ़ जाता है। खासकर जंगली संलग्न ग्रामीण, वनबस्ती और चाय बागान क्षेत्रों में संघर्ष की घटनाएं काफी बढ़ जाती हैं। इस साल भी मानसून के मौसम की शुरुआत में उत्तर बंगाल में हाथी-मानव संघर्ष की घटनाएं बढ़ गयी हैं। हाल ही में अलीपुरदुआर जिले में हाथी के हमले में एक परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। इसके अलावा, मानसून के मौसम की शुरुआत में हाथियों के हमले में लोगों के घायल होने, फसलों और घरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। वहीं मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए अलीपुरदुआर के जलदापाड़ा वन विभाग ने विशेष पहल की है। हाथी-मानव संघर्ष को रोकने के लिए जलदापाड़ा वन विभाग की ओर से चालीस विशेष टीमें बनाई गई हैं जिनकी तैनाती विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही है। इसके अलावा वन विभाग की विशेष टीमें जंगल से सटे चाय बागानों और वन बस्तियों में माइकिंग कर रही है, ग्रामीणों के साथ बैठकें की जा रही हैं, साथ ही जागरुकता अभियान चलाकर ग्रामीणों को यह समझाया जा रहा है कि हाथियों और अन्य वन प्राणियों के हमलों और संघर्ष से खुद को कैसे बचाया जाए। सिर्फ कर्मचारी ही नहीं इस बार मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए जलदापाड़ा वन विभाग के अधिकारी भी मैदान में उतर आए हैं। जलदापाड़ा के डीएफओ परवीन कासवान ने बताया कि इस मानसून के मौसम में ही सबसे ज्यादा हाथी-मानव संघर्ष देखने को मिलता है। यह संघर्ष मई से जुलाई तक पूरे उत्तर बंगाल में देखने को मिलता है। इसके लिए हमने जलदापाड़ा में विशेष पहल की है। 40 टीमों को तैयार किया गया है। टीमें हर दिन अलग-अलग गांवों, जंगल संलग्न वनबस्ती और चाय बागान क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों के बीच जागरुकता का काम कर रही हैं। लोगों को समझाया जा रहा है कि आप खुद हाथियों को भगाने न जाएं, हाथियों को परेशान न करें, अगर कोई हाथी गांव से निकलता है तो जल्द से जल्द वन विभाग को बताएं। विभागीय टीम मौके पर वहां पहुंचेगी और हाथियों को वापस जंगल की ओर भगाने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षा देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस समय हाथी-मानव संघर्ष को रोकने के लिए हमारी चार सौ कर्मियों की टीम दिन-रात काम कर रही है। डीएफओ ने बताया कि हाथी-मानव संघर्ष को रोकने के लिए हाथियों के समूहों की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है। अगर कोई हाथी समूह किसी क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है तो उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारी, बीडीओ, पंचायत से लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों को संदेश के जरिए हाथियों की मौजूदगी की जानकारी दी जा रही है, ताकि लोगों को आगाह किया जा सके।
वन विभाग की इस पहल की पर्यावरण प्रेमियों ने भी सराहना की है। जलदापाड़ा के पर्यावरण प्रेमी विश्वजीत साहा ने कहा कि वन विभाग विभिन्न प्रकार की सतर्कता मूलक पहल कर रहा है, यह बेहद अच्छी बात है लेकिन गांव वासियों को भी सतर्क रहना पड़ेगा। सबसे पहली बात है कि हाथी अगर गांव में आता है तो हम खुद ही जाकर उसे भगाते हैं, कोई मशाल जलाता है तो कोई पटाखा फोड़ने लगता है, तो कोई अलग अलग पद्धति अपनाता है। इससे हाथी और भी परेशान हो जाता है। इसके चलते ही लोगों के घरों को नुकसान पहुंचता एवं लोगों की जान तक चली जाती है।