

निधि, सन्मार्ग संवाददाता,
बैरकपुर: बैरकपुर कोर्ट भवन के अपर्याप्त और पुराने हो चुके बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) को विकसित करने की वकीलों की पुरानी और ज़ोरदार मांग को अंततः कलकत्ता हाई कोर्ट की तरफ से गंभीरता से लिया गया है। शनिवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश और उत्तर 24 परगना के ज़ोनल जज, न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा, ने जिले के न्यायाधीश शांतनु झा और बैरकपुर कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों के साथ मिलकर नए और पुराने दोनों कोर्ट परिसरों का व्यापक निरीक्षण किया।
बैरकपुर कोर्ट को 1 अक्टूबर 2020 को पुराने और ऐतिहासिक भवन से नए भवन में स्थानांतरित तो कर दिया गया था, लेकिन यह स्थानांतरण समस्याओं का समाधान नहीं बन सका। नए कोर्ट भवन में पर्याप्त जगह और सुविधाओं की कमी के कारण वकील और मुवक्किल लगातार कठिनाइयों का सामना कर रहे थे, जिसके चलते बुनियादी ढांचे के त्वरित विकास की मांग लगातार उठती रही।
न्यायमूर्ति मंथा ने अपनी जांच में इस गंभीर समस्या को रेखांकित किया। उन्होंने पाया कि नए कोर्ट परिसर में केवल 15 कक्ष उपलब्ध हैं। यह संख्या बैरकपुर अनुमंडल कोर्ट के कार्यभार के मुकाबले बेहद कम है, जहाँ 28 अलग-अलग थानों के फौजदारी (आपराधिक) और दीवानी (सिविल) मामलों की सुनवाई प्रतिदिन होती है। इतनी बड़ी संख्या में मामलों और वकीलों के आवागमन के कारण न्यायालय परिसर में जगह की भारी कमी बनी रहती है, जिससे न्याय चाहने वाले नागरिकों को भी असुविधा होती है।
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, और भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कौन-से तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय किए जा सकते हैं, इस पर मंथन करने के लिए न्यायाधीश मंथा ने कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं।
नये कोर्ट भवन में व्यवस्थाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव की हैं शिकायतें
सबसे पहले, नए कोर्ट भवन में उन्होंने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों के साथ विस्तृत बातचीत की, जहाँ वकीलों ने अपनी दैनिक समस्याओं और अपेक्षित सुविधाओं को विस्तार से रखा। इसके पश्चात, पुराने कोर्ट भवन में, न्यायमूर्ति मंथा ने बैरकपुर कैंटोनमेंट बोर्ड की सीईओ ज्योति कपूर, पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) और अन्य संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों के साथ भी गहन विचार-विमर्श किया।
निरीक्षण और बैठकों के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए, ज़ोनल जज न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने स्पष्ट किया कि न्यायिक परिसर के बुनियादी ढांचे में काफी सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उनका दूरदर्शी लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्तमान में जो भी संरचनात्मक विकास किया जाए, वह अगले पचास वर्षों की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम हो।
वहीं, बैरकपुर कैंटोनमेंट बोर्ड की सीईओ ज्योति कपूर ने बैठक को 'सकारात्मक और काफी अच्छी' बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आवश्यक व्यवस्थाएं जल्द ही की जाएंगी और कैंटोनमेंट क्षेत्र में कई विकास कार्यों को करने की उनकी विस्तृत योजना है। इस निरीक्षण ने बैरकपुर में न्यायिक व्यवस्था के लिए एक मज़बूत और आधुनिक भविष्य की नींव रख दी है।