चुनाव बाद की हिंसा की अनदेखी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया : सुप्रीम कोर्ट

अभियुक्तों की जमानत रद्द, कोर्ट ने कहा : चुनाव बाद की हिंसा लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमले से कम नहीं
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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में मई, 2021 में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक महिला से छेड़छाड़ के अभियुक्तों को दी गयी जमानत रद्द कर दी। न्यायालय ने कहा कि यह जघन्य अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमले से कम नहीं है।

विपक्षी दल के सदस्यों को आतंकित करने की कोशिश

न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता के पीठ ने कहा कि चुनाव नतीजे के दिन शिकायती के घर पर हमला केवल बदला लेने के उद्देश्य से किया गया था क्योंकि उसने भाजपा का समर्थन किया था। पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर परिस्थिति है, जो हमें आश्वस्त करती है कि अभियुक्त विपक्षी राजनीतिक दल के सदस्यों को आतंकित करने की कोशिश कर रहे थे। पीठ ने कहा तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है कि वर्तमान मामला ऐसा है, जिसमें अभियुक्त प्रतिवादियों पर आरोप इतने गंभीर हैं कि वे अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देते हैं।

यह अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमले से कम नहीं

जिस निंदनीय तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, उससे अभियुक्तों के प्रतिशोधी रवैये और विपक्षी पार्टी के समर्थकों को किसी भी तरह से अपने अधीन करने के उनके घोषित उद्देश्य का पता चलता है। यह नृशंस अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमले से कम नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की दो अपीलों पर अपना फैसला सुनाया, जिनमें कुछ अभियुक्तों को जमानत देने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के अलग-अलग आदेशों को चुनौती दी गयी थी।

पुलिस ने दी थी गांव छोड़ने की सलाह!

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि शिकायती की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की गयी। खुद को बचाने के लिए उसने अपने शरीर पर मिट्टी का तेल डाला और धमकी दी कि वह खुद को आग लगा लेगी, जिसके बाद बदमाश मौके से चले गये। शिकायती ने अगले दिन शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस थाने का रुख किया लेकिन प्रभारी अधिकारी ने उसे और उसके परिवार की जान बचाने के लिए गांव छोड़ने की सलाह दी।

सीबीआई ने की थी जांच

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अगस्त, 2021 में सीबीआई को उन सभी मामलों की जांच करने का निर्देश दिया था, जहां आरोप हत्या या महिलाओं के खिलाफ बलात्कार या बलात्कार के प्रयास से संबंधित अपराध से जुड़े थे। पीठ ने कहा कि शिकायती के घर पर हुई घटना के संबंध में बलात्कार सहित कथित अपराधों के लिए दिसंबर, 2021 में सीबीआई की ओर से प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। इसमें कहा गया कि अभियुक्तों को तीन नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। जांच के बाद सीबीआई की ओर से कई लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था।

अभियुक्तों ने शिकायती के घर हमला कर सामान लूटा

पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह साबित करने के लिए सामग्री मौजूद है कि अभियुक्तों ने गैरकानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा की। शिकायती के घर पर हमला किया, वहां तोड़फोड़ की और घर का सामान लूट लिया। पीठ ने 2023 में उच्च न्यायालय की ओर से उन्हें दी गयी जमानत को रद्द करते हुए कहा कि अभियुक्तों को जमानत पर रहने दिया जाता है तो निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई होने की कोई संभावना नहीं है। पीठ ने अभियुक्तों को दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया और निचली अदालत से 6 महीने के भीतर मुकदमे को समाप्त करने का प्रयास करने को कहा।

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