

सबिता, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में इस साल एक अगस्त से मनरेगा के क्रियान्वयन की अनुमति देने वाला उच्चतम न्यायालय का फैसला केंद्र के लिए एक ‘बड़ा झटका’ और राज्य के गरीब लोगों की जीत है। उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को पश्चिम बंगाल में एक अगस्त 2025 से लागू करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उच्च न्यायालय के 18 जून के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लगभग 2.58 करोड़ जॉब कार्ड धारक अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ से बच जाएंगे। उन्होंने कहा, भाजपा ने पश्चिम बंगाल के लोगों को वंचित करके उनके हितों के खिलाफ काम किया। वंचित किए जाने की यह कार्रवाई अवैध और राजनीति से प्रेरित थी। इसने राज्य के गरीब लोगों को नुकसान पहुंचाया है।
बार-बार वंचितों के खिलाफ आवाज उठाई
मंत्री ने कहा, उच्चतम न्यायालय का फैसला भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव एवं लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी समेत तृणमूल नेतृत्व ने बार-बार वंचितों के खिलाफ आवाज उठाई है और दिल्ली में प्रदर्शन भी किए हैं। मंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा भुगतान नहीं किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के खजाने से 100 दिनों के काम के लिए पैसे देने का फैसला किया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार को पूरा अधिकार है कि वह पश्चिम बंगाल में योजना लागू करते समय अनियमितताओं को रोकने के लिए विशेष नियम,शर्तें और प्रतिबंध लगाए। अदालत ने स्पष्ट किया था कि भले ही ये शर्तें अन्य राज्यों में लागू न हों, केंद्र इन्हें पश्चिम बंगाल में लागू कर सकता है।