लंबित विधेयक का मामला : विधानसभा और राजभवन में क्या बढ़ सकती है तकरार

राज्यपाल अपनी इच्छा से किसी विधेयक को नहीं रोक सकते : शोभनदेव
लंबित विधेयक का मामला : विधानसभा और राजभवन में क्या बढ़ सकती है तकरार
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उम्मीद बढ़ी है। विधेयकों के लंबित मामले पर विधानसभा और राजभवन के बीच प्रतिक्रियाएं जारी है। विधानसभा के स्पीकर विमान बनर्जी ने पहले कहा कि राजभवन में 23 विधेयक लंबित है। इनमें से कई विधेयक बेहद ही अहम है। जैसे अपराजिता, हावड़ा म्युनिसिपल विधेयक, सामूहिक पिटाई मामले संबंधित विधेयक इत्यादि। स्पीकर के इस बयान के एक दिन बाद राजभवन से प्रतिक्रिया आयी है। अब गुरुवार को राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने अपनी राय व्यक्त की। मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार कोई भी राज्यपाल अपनी इच्छा से किसी विधेयक को नहीं रोक सकता और न ही उसे संबंधित विभाग के अधिकारियों को बुलाने का अधिकार है। यदि किसी विधेयक पर उन्हें कोई कानूनी आपत्ति है तो वे सरकार को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति व्यक्त कर सकते हैं। हालांकि, विधेयक को अनिवार्य रूप से अनुमोदित किया जाना चाहिए। यदि अत्यंत आवश्यक हो तो इसे राष्ट्रपति को भेजा जा सकता है लेकिन फाइलों को लम्बे समय तक रोकना सही नहीं है।

लंबित बिल मामले पर राजभवन की आयी प्रतिक्रिया : राजभवन में 23 बिल लंबित है, स्पीकर विमान बनर्जी ने कहा है। मीडिया में आयी खबरों का हवाला देते हुए राजभवन से बुधवार को कहा गया है विधेयकों के पारित होने सहित सभी मामलों से निपटने में राज्यपाल संवैधानिक मर्यादाओं का विशेष रूप से पालन करते रहे हैं। इस प्रकार की सूचना मिलने पर राज्यपाल ने तुरंत मामले का आकलन करवाया। राजभवन की तरफ से बताया गया है कि उन विधेयकों में से राज्यपाल ने पांच को मंजूरी दे दी, जबकि दो राज्य सरकार के पास मांगी गई सूचना के अभाव में लंबित हैं। राज्यपाल ने 2024 और 2025 के दौरान माननीय राष्ट्रपति के विचार के लिए 11 विधेयक आरक्षित किए हैं। इनमें से दस विश्वविद्यालय मामलों से संबंधित हैं और एक अपराजिता विधेयक है जिसे राज्य सरकार की सिफारिश के अनुसार आरक्षित किया गया था।

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