नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर यह नाम बदलने का खेल है, वरना हकीकत यह है कि हमारे राज्य की सीमा चीन से नहीं बल्कि तिब्बत से लगती है। खांडू ने साथ ही यह भी कहा कि अगला दलाई लामा एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश से होगा, चीन से नहीं।
'लेकिन मूल रूप से हम तिब्बत के साथ सीमा साझा करते हैं'
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर यह तथ्यात्मक रूप से अज्ञानतापूर्ण लगता है तो जरा दोबारा विचार करें। वास्तव में अरुणाचल प्रदेश की 1,200 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं। उनका यह बयान क्षेत्र की संवेदनशीलता और अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे तथा राज्य के स्थानों के बार-बार नाम बदलने के उसके रुख के बीच आया है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर तिब्बत अब चीन के अधीन है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन मूल रूप से हम तिब्बत के साथ सीमा साझा करते हैं।
तीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करता है अरुणाचल
उन्होंने राज्य की सीमाई स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश में हम तीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करते हैं - भूटान के साथ लगभग 150 किलोमीटर, तिब्बत के साथ लगभग 1,200 किलोमीटर, जो देश की सबसे लंबी सीमाओं में से एक है और पूर्वी हिस्से में म्यांमार के साथ लगभग 550 किलोमीटर।
भारत का कोई भी राज्य सीधे तौर पर चीन के साथ सीमा साझा नहीं करता
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत का कोई भी राज्य सीधे तौर पर चीन के साथ सीमा साझा नहीं करता केवल तिब्बत के साथ करता है और उस क्षेत्र पर चीन ने 1950 के दशक में जबरन कब्जा कर लिया था। खांडू ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह भारत-तिब्बत सीमा थी और उन्होंने 1914 के शिमला समझौते का हवाला दिया जिसमें ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। अरुणाचल प्रदेश में स्थानों को अपने हिसाब से नाम देने की चीन की आदत पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार स्थानों का नाम बदला है। खांडू ने कहा कि यह हमारे लिए आश्चर्य की बात नहीं है। हम चीन की आदत जानते हैं और मुझे लगता है कि आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय इस से निपटता है और उन्हें (चीन) को जवाब दिया है।
वर्तमान दलाई लामा के निधन के बाद ही शुरू होता है उत्तराधिकारी का चयन
खांडू ने तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन की मौजूदा चर्चा के मद्देनजर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि अगला दलाई लामा एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश से होगा, चीन से नहीं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा के चयन की प्रक्रिया किसी वर्तमान दलाई लामा के निधन के बाद ही शुरू होती है। साथ ही उन्होंने आशा जतायी और प्रार्थना की कि 14वें दलाई लामा अगले 40 वर्षों तक जीवित रहें। उन्होंने कहा कि कि दलाई लामा का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है और इस बार अपने 90वें जन्मदिन समारोह में दलाई लामा ने भी कहा कि वह लगभग 130 वर्ष तक जीवित रहेंगे। इसलिए हम सभी ऐसी प्रार्थना करते हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे 130 वर्ष तक जीवित रहेंगे।
‘अगले दलाई लामा का जन्म एक स्वतंत्र दुनिया में होगा’
मुख्यमंत्री स्वयं दलाई लामा के अनुयायी हैं और बौद्ध समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। खांडू ने कहा कि उन्हें अगले दलाई लामा के चयन की प्रक्रिया, उसके तरीके या विवरण के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन चयन की पूरी एक प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा कि सभी नियम तय हैं, सभी प्रक्रियाएं तय हैं। इस बारे में अटकलें लगाने का कोई मतलब नहीं है। यह अनुमान लगाने का कोई तुक नहीं है कि उनका जन्म कहां होगा, किस क्षेत्र में होगा, भारत में होगा या तिब्बत में होगा। इस मुद्दे पर केवल एक ही स्पष्टता है कि अगले दलाई लामा का जन्म एक स्वतंत्र दुनिया में होगा। और यह बात शायद दलाई लामा ने एक साक्षात्कार में कही है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह यह संकेत दे रहे हैं कि अगला दलाई लामा चीन से नहीं होगा और कहीं और से हो सकता है, खांडू ने हामी भरते हुए कहा कि निश्चित रूप से चीन से नहीं होगा क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं है। इसलिए जहां कहीं भी लोकतंत्र है, वह दुनिया में कहीं भी हो सकता है। जब उनसे कहा गया कि तिब्बत भी चीन के शासन के अधीन है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह इस देश या उस देश से होगा।