हिंदी अरुणाचल के लिए जोड़ने वाली भाषा है, सीखने में कोई दिक्कत नहीं : पेमा खांडू

‘अरुणाचल की जनजातियों को एक दूसरे से जोड़ने में संपर्क भाषा की भूमिका निभाती है हिंदी’
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अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडूू
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नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि उनके राज्य में प्रत्येक जनजाति अपनी अलग बोली और भाषा बोलती है तथा ऐसे में हिंदी उनके राज्य को जोड़ने वाली भाषा है।

अरुणाचल में हर जनजाति की अपनी अलग-अलग भाषा व बोली

खांडू ने राजध्धानी दिल्ली में से एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदी अरुणाचल प्रदेश में शुरुआत से ही स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है और इसे सीखने में कोई समस्या नहीं है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में इतनी विविधता है कि 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां अपनी अलग-अलग भाषाएं और बोलियां बोलती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं अपनी बोली, अपनी भाषा में बात करूंगा तो दूसरी जनजाति के लोग समझ नहीं पायेंगे। इसलिए हर कोई हिंदी बोलता है। व्याकरण संबंधी गलतियां अवश्य हो सकती हैं लेकिन अगर आप किसी गांव में भी जायेंगे, तो सभी ग्रामीण हिंदी समझेंगे और बोलेंगे। हम चुनाव प्रचार के दौरान और विधानसभा में भी हिंदी बोलते हैं।

हर राज्य की अपनी भाषा होती है

मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच कहा कि हिंदी निश्चित रूप से एक जोड़ने वाली भाषा है। इसे सीखने में कोई समस्या नहीं है। इसे सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश रणनीतिक रूप से अहम स्थान है जहां सुरक्षा बल के जवान विभिन्न राज्यों से आते हैं और अधिकतर जवान हिंदी में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि वहां सीमा सड़क संगठन भी है। इसलिए कई अन्य माध्यम हैं जिनके जरिये हमने हिंदी को तेजी से सीखा। मुख्यमंत्री ने कुछ राज्यों में हिंदी का विरोध होने के बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा कि हर किसी की अपनी मातृभाषा होती है, हर राज्य की अपनी भाषा होती है और हर जनजाति की भी अपनी भाषा होती है।

जनजातियों की विभिन्न भाषाओं को संरक्षित किया जाना चाहिए

उन्होंने उनकी सरकार द्वारा स्वदेशी भाषाओं और संस्कृति के प्रचार एवं संरक्षण के लिए आदिवासी मामलों का एक विभाग शुरू किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसे महत्व दिया जाना चाहिए, यहां तक कि मैं भी अपने राज्य में मानता हूं कि जनजातियों की विभिन्न भाषाओं को संरक्षित किया जाना चाहिए। खांडू ने कहा कि वह शिक्षा के लिए राज्य से बाहर जाने वाले युवाओं से कहते हैं कि वे घर लौटकर अपनी भाषा में बात करें। उन्होंने कहा कि क्योंकि यही उनकी पहचान है क्योंकि हमारे देश में इतने सारे समुदाय, विभिन्न धार्मिक समूह, विभिन्न पृष्ठभूमियां हैं, इसलिए, अपने स्थान पर अपनी भाषा को संरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

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