नयी दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को भाजपा सहित सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने देश में पिछले दस वर्ष के दौरान मेडिकल शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाये जाने के लिए सरकार की सराहना की, वही आरएलएम के एक सदस्य ने सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों के नियमन के लिए एक प्राधिकार बनाया जाना चाहिए। जिस अनुपात में मेडिकल शिक्षा में स्नातक स्तर पर सीटें बढ़ायी गयी हैं, उसी अनुपात में स्नातकोत्तर सीटें भी बढ़ायी जानी चाहिए ताकि इन लोगों को रोजगार में सहूलियत मिल सके। वहीं लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की सुस्त गति, नमामि गंगे कार्यक्रम पर कम खर्च और जल जीवन मिशन का पर्याप्त क्रियान्वयन न हो पाने का मुद्दा उठाया।
दस साल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हुई
उच्च सदन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने स्वास्थ्यमंत्री को सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों के नियमन के लिए कोई प्राधिकार बनाया जाना चाहिए ताकि इन अस्पतालों में लोगों को सही ढंग से उपचार मिल सके। भाजपा के भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि पिछले दस साल में मेडिकल शिक्षा पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है। यदि पूर्ववर्ती संप्रग शासनकाल और वर्तमान के राजग शासनकाल की तुलना की जाये तो 2014 में देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 780 हो गये हैं।
2014 में 7 एम्स थे अब 23 हो गये
उन्होंने कहा कि पहले एम्स की चर्चा होने पर केवल दिल्ली के एम्स की बात होती थी। उन्होंने दोनों सरकार के शासनकाल में देश में एम्स की संख्या की तुलना करते हुए कहा कि 2014 में सात एम्स हुआ करते थे जिनकी संख्या 2025 में बढ़कर 23 हो गयी है। उन्होंने कहा कि 2014 में एमबीबीएस की सीट संख्या 51,348 हुआ करती थी। यह संख्या 2025 में बढ़कर 1,18,137 सीट हो गयी है। इसी प्रकार स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा में 2014 में सीटों की संख्या 33,185 हुआ करती थी जो अब बढ़कर 73,157 हो गयी हैं। जदयू के संजय कुमार झा ने सुझाव दिया कि जिस अनुपात में मेडिकल शिक्षा में स्नातक स्तर पर सीटें बढ़ायी गयी हैं, उसी अनुपात में स्नातकोत्तर सीटें भी बढ़ायी जानी चाहिए ताकि इन लोगों को रोजगार में सहूलियत मिल सके।
‘हिमालयी नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों को जोड़ने की कोई योजना नहीं’
लोकसभा में द्रमुक के टी आर बालू ने 2025-26 के लिए जल शक्ति मंत्रालय से संबंधित अनुदानों की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराज्यीय स्तर पर नदियों को जोड़ने का वादा किया था लेकिन हिमालयी नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों को जोड़ने के लिए अब तक कोई योजना नहीं बनायी गयी। उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी संपर्क परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि हम इसके खिलाफ नहीं हैं। इस पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की घोषणा की गयी लेकिन हम जानना चाहते हैं कि यह परियोजना कब पूरी होगी।
जेजेएम के तहत अब तक 80% योजनाओं को ही पूरा किया गया
उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत अब तक 80 प्रतिशत योजनाओं को ही पूरा किया गया है और केवल 15 करोड़ परिवारों को नल से जल का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। कांग्रेस के राहुल राहुल कस्वां ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 2015-16 से 2021-22 के बीच केवल 4,016 करोड़ रुपये खर्च किये गए और यह इस मद के लिए आवंटित बजट का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा है।
नमामि गंगे पर हुए खर्च की जांच हो : तृणमूल सांसद
तृणमूल कांग्रेस के बापी हालदर ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किये गये लेकिन पैसा कहां गया, इसकी जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2019 में जल जीवन मिशन की शुरूआत हर परिवार को 2024 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए की गयी थी लेकिन उस ‘गारंटी’ का क्या हुआ। हालदर गंगा सागर मेला के लिए विशेष पैकेज की घोषणा किये जाने की भी मांग की। सपा के वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वर्षा जल का बेहतर प्रबंधन न होने के कारण जल का संचयन नहीं हो पाता है, जिससे कई जगह किसानों को सिंचाई के लिए और लोगों को पेयजल नहीं मिल पाता है।
दुनिया मोदी को ‘आधुनिक भगीरथ’ के रूप में देखेगी : पाल
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल और राजकुमार चाहर ने जलशक्ति मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी को ‘आधुनिक भगीरथ’ की संज्ञा दी। पाल ने कहा कि जिस तरह राजा भगीरथ गंगा नदी को धरती पर लाये थे, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने हर घर में नल से जल पहुंचाने का काम किया है और आने वाले समय में पूरा देश तथा दुनिया उन्हें ‘आधुनिक भगीरथ’ के रूप में देखेगी। वहीं चाहर ने कहा कि उन्होंने भगीरथ को नहीं देखा लेकिन आज उनके क्षेत्र के लोग कहते हैं कि वर्तमान समय के भगीरथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी वाले भारत को विश्व का केवल चार प्रतिशत स्वच्छ जल उपलब्ध है, ऐसे में पानी की व्यवस्था करने के लिए यह सरकार लगातार प्रयासरत है।