संसद सुरक्षा में सेंध : जमानत याचिका पर 7 मई को सुनवाई

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संसद सुरक्षा में सेंध : जमानत याचिका पर 7 मई को सुनवाई
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नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह 2023 में संसद की सुरक्षा में सेंध से जुड़े मामले में गिरफ्तार 2 अभियुक्तों की जमानत याचिका पर 7 मई को सुनवाई करेगा। जमानत याचिकाएं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर के पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थीं। पीठ को अभियोजन पक्ष ने सूचित किया कि उसकी ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता को बहस करनी है लेकिन वह उपलब्ध नहीं हैं।

अदालत ने अभियोजन पक्ष के स्थगन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा कि वह मामले में एकमात्र महिला अभियुक्त नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिकाओं पर 7 मई को सुनवाई करेगा। आजाद के वकील ने स्थगन अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि ‘यह विलंब करने की रणनीति है’ और ऐसा आचरण देश के लिए अच्छा नहीं है लेकिन अदालत ने उनसे कहा, ‘बस कीजिए, आपने हमें परेशान कर दिया है।’

इससे पहले, अदालत ने पुलिस से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या ‘स्मोक कैन’ (धुआं छोड़ने वाला स्प्रे), जो जानलेवा नहीं होता, उसे ले जाना या उसका इस्तेमाल करना आतंकवादी गतिविधियों के संबंध में लागू होने वाले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के दायरे में आता है।

संसद पर 2001 में हुए हमले की 22वीं बरसी पर 13 दिसंबर 2023 को उसकी सुरक्षा में सेंध लगाते हुए दो अभियुक्त सागर शर्मा एवं मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कथित तौर पर कूद गए थे। उन्होंने वहां ‘स्मोक कैन’ से पीला धुआं छोड़ा था तथा नारे लगाए थे। बाद में कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया था।

लगभग उसी समय दो अन्य अभियुक्तों-अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने संसद परिसर के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाते हुए ‘स्मोक कैन’ से पीला धुआं छोड़ा था। हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर बाजार में आसानी से उपलब्ध ‘स्मोक कैन’ के इस्तेमाल पर यूएपीए लगाया जा सकता है तो होली और यहां तक कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मैच के दौरान इसका (स्मोक कैन) इस्तेमाल करने वाले भी इसके (यूएपीए) दायरे में आएंगे।

पीठ ने कहा, ‘आप इस पर जानकारी लें और हमें बताएं। बाजार में खुलेआम उपलब्ध ‘स्मोक कैन’ पर यूएपीए लागू होता है या नहीं। अगर यह लागू होता है तो होली पर हर कोई इस अपराध के दायरे में आएगा। हर आईपीएल मैच पर यूएपीए लगेगा।’ आजाद के वकील ने अपनी मुवक्किल को इस आधार पर जमानत पर रिहा किए जाने का अनुरोध किया था कि मामले में यूएपीए के प्रावधान लागू नहीं होते।

अभियोजन पक्ष ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि आजाद पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने जैसे ‘गंभीर’ आरोप हैं।

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