सिंगापुर में संसद भंग, 3 मई को आम चुनाव ?

कौन जीत सकता है यह चुनाव
सिंगापुर में संसद भंग, 3 मई को आम चुनाव ?
Published on

सिंगापुर : सिंगापुर की संसद मंगलवार को भंग कर दी गयी, जिससे आम चुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया है। सिंगापुर में लंबे समय से सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के नेतृत्व में अपना प्रभुत्व मजबूत करने का प्रयास करेगी।

3 मई को होना है चुनाव

चुनाव विभाग ने बाद में अपराह्न में बताया कि चुनाव 3 मई को होगा। हालांकि पिछले साल मई में सिंगापुर के चौथे नेता के रूप में शपथ लेने वाले वोंग आगामी चुनाव में एक मजबूत जीत हासिल करना चाहते हैं, क्योंकि सरकार के प्रति मतदाताओं के बढ़ते असंतोष के कारण 2020 के चुनाव में पीएपी को एक झटका लगा था। वोंग ने ली सीन लूंग का स्थान लिया था, जिन्होंने दो दशक तक पद पर रहने के बाद पद छोड़ा था। कोविड-19 महामारी के दौरान हुए 2020 के चुनाव में, पीएपी ने 93 में से 83 सीट के साथ अपना बहुमत बनाए रखा था। हालांकि विपक्ष ने पहले के मुकाबले कुछ अधिक सीट जीती थीं, जिससे उसका संसदीय प्रतिनिधित्व छह से बढ़कर 10 हो गया था, जो अब तक का सबसे अधिक है।

पीएपी का लोकप्रियता समर्थन भी 61 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। वोंग पीएपी प्रमुख के रूप में पहले आम चुनाव का सामना करेंगे तथा उनका प्रयास असंतुष्ट युवा मतदाताओं तक पहुंच बनाने का होगा। उन्होंने एक "फॉरवर्ड सिंगापुर" योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य सिंगापुर के लोगों को इसको लेकर अपनी राय देने का मौका देना है कि अगली पीढ़ी के लिए अधिक संतुलित, जीवंत और समावेशी एजेंडा कैसे विकसित किया जाए। पीएपी पार्टी में नयी जान फूंकने के लिए 30 से अधिक नये उम्मीदवार उतारेगी। अमेरिकी शुल्क की वजह से वैश्विक व्यापार प्रणाली के प्रभावित होने के बीच वोंग ने चेतावनी दी है कि आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच ‘आपका नेतृत्व कौन कर रहा है, यह मायने रखता है।’

वोंग ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक फेसबुक पोस्ट में कहा था,‘हमारे सामने सबसे बड़ा मुकाबला राजनीतिक दलों के बीच नहीं है, बल्कि सिंगापुर बनाम दुनिया के बीच है। हमारा मिशन... स्पष्ट है: अपने देश को स्थिरता, प्रगति और उम्मीद की एक चमकती हुई किरण बनाए रखना।’ सिंगापुर दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक के रूप में विकसित हुआ है, लेकिन यह रहने के लिए सबसे महंगे शहरों में से एक बन गया है। पीएपी की आलोचना सख्त सरकारी नियंत्रण, मीडिया सेंसरशिप और असंतुष्टों के खिलाफ दमनकारी कानूनों के इस्तेमाल के लिए की गयी है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in