नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को मौत की सजा देने में देरी का आरोप लगाने संबंधी गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर गुरुवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि शाह ने झूठ बोला तथा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा था कि जब तक चिदंबरम गृहमंत्री रहे, अफजल को मौत की सजा नहीं दी जा सकी।
2013 को दया याचिका खारिज हुई
चिदंबरम ने एक बयान में कहा कि शाह का राज्यसभा में दिया बयान आक्षेप, झूठ और विकृत तथ्यों का मिश्रण है। उन्होंनेे कहा कि अदालतों द्वारा दोषसिद्धि और सजा सुनाये जाने के बाद गुरु की पत्नी ने अक्टूबर, 2006 में भारत के राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी। राष्ट्रपति ने तीन फरवरी, 2013 को दया याचिका खारिज कर दी। अफजल गुरु को छह दिन बाद नौ फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गयी। मैं एक दिसंबर, 2008 से 31 जुलाई, 2012 तक गृहमंत्री था। पूरी अवधि के दौरान, दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित थी। कानून यह है कि दया याचिका का निपटारा होने तक मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
कूटनीति का विकल्प नहीं हो सकती दोस्ती
चिदंबरम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात पर 25 फीसदी टैरिफ और रूस से तेल व हथियार खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने की घोषणा को भारत के व्यापार के लिए बड़ा झटका करार देते हुए कहा कि दोस्ती- कूटनीति और कठिन वार्ता का विकल्प नहीं हो सकती। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। 'दोस्ती’ कूटनीति और मेहनत से की गयी वार्ता का विकल्प नहीं है।