पीएम मोदी का शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष पर तंज- संसद को पराजय की बौखलाहट का मैदान न बनाएं

प्रधानमंत्री ने बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि एक-दो दल अब भी पराजय को पचा नहीं पा रहे हैं।
पीएम मोदी का शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष पर तंज- संसद को पराजय की बौखलाहट का मैदान न बनाएं
RAVI CHOUDHARY
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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले विपक्षी दलों को संदेश देते हुए उनसे लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाने की अपील की है। हालांकि पीएम ने उनपर बिहार में चुनाव हार को लेकर कटाक्ष भी किया है।

मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों को शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। ये सत्र, संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए।

विपक्ष अपना दायित्व निभाए

पीएम ने बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने लोकतंत्र को जिया है और यह बात बार-बार साबित हुई है, बिहार में हुए विधानसभा चुनाव ने भी यह दिखाया है। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए। पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आए। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते। मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे। लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है।

भारत की आर्थिक तरक्की का भी जिक्र

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है, वह विकसित भारत के लक्ष्य के और जाने में ये हममें नया विश्वास तो जगाती ही है, नई ताकत भी देती है। एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है। भारत ने सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र रिजल्ट दे सकता है।

बिहार ने दिखायी लोकतंत्र की ताकत

उन्होंने बिहार चुनाव को लेकर कहा कि गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुआ, वो लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। माताओं-बहनों की जो भागीदारी बढ़ रही है, ये अपने आप में एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करती है। भारत ने लोकतंत्र को जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह को समय-समय पर इस तरह प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। संसद का ये शीतकालीन सत्र सिर्फ कोई रिवाज नहीं है। ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा।

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